चौदह बसंत देखने वाला “चतुर्भुज” बना धनबाद IIT का हिस्सा
AJ डेस्क: धनबाद के आईएसएम IIT को युवा इंजीनियर बनाने का सौभाग्य मिला है। इन्हें युवा कहा जाए या किशोर। जिंदगी के मात्र 14 बसंत देखने वाला यह मेधावी छात्र हर परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए आज आईआईटियन कहला रहा है। कम उम्र के इस मेधावी छात्र को ऊँची तालीम देने की जिम्मेवारी धनबाद IIT को मिली है। दरअसल हम बात कर रहे हैं आईएसएम IIT के नए छात्र “चतुर्भुज” की।
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देश के 23 IIT संस्थानों में से शायद धनबाद का आईएसएम IIT ही होगा, जहां चालू शैक्षणिक सत्र में सबसे कम उम्र के आईआईटियन को दाखिला मिला है। चतुभुर्ज एक साधारण परिवार से जुड़ा हुआ है। उसके स्कूल के शिक्षक उसके पिता से हमेशा कहते थे कि चतुर्भुज विलक्ष्ण प्रतिभा का धनी है, उसकी पढ़ाई बाधित नही होनी चाहिए। गुरुजनों की बात गांठ कर चतुर्भुज के पिता हर हाल में उसे पढ़ाते रहे। अब इसका परिणाम भी सामने है, महज 14 वर्ष 11 माह की आयु में ही चतुर्भुज ने IIT जैसी परीक्षा को क्रेक किया और एशिया की प्रतिष्ठित खनन शिक्षण संस्थान आईएसएम IIT का एक हिस्सा बन बैठा।

चतुर्भुज राजस्थान के दीग भरतपुर स्थित खटीक मोहल्ला के रहने वाले है। उनके पिता का एक छोटा सा कबाड़ का व्यवसाय है। उनके दादाजी एक शिक्षक रह चुके है। चतुर्भुज की पढ़ाई का जिम्मा उनके दादाजी ने अपने पेंशन के दम पर अपने कंधों पर उठा रखा है। चतुर्भुज ने हमसे एक खास बातचीत में कहा, ‘मुझे पता है कि गरीबी क्या होती है। मैंने और मेरे परिवार ने उसे जिया है। मेरे दादाजी को अगर पेंशन न मिल रहा होता तो शायद मैं यहाँ न होता। मेरे घर में मेरी बहन अभी पढ़ रही है। वो आगे एक शिक्षक बननाचाहती है। मेरे भैया है जो मुझे कुछ बनता हुआ देखना चाहते है। मेरे पूरे परिवार की इच्छा से ही आज मैं यहाँ तक पहुंच पाया हूँ।’

चतुर्भुज ने अपनी पढ़ाई के बारे में बात करते हुए बताया, ‘मैने 2017 में मैट्रिक की परीक्षा पास की और 12वीं के बाद पहले प्रयास में ही मैंने जेईई एडवांस को क्रेक कर दिया।’ उन्होंने कहा कि वो इसके लिए काफी मेहनत किया करते थे। उन्हें जब मौका मिलता वो अपनी तैयारियों में जुट जाते। उनका मानना है कि किसी चीज को हासिल करने के लिए उम्र मायने नहीं रखता, बस आपकी इच्छा शक्ति, मेहनत और लगन की जरुरत होती है। इससे आप सब कुछ हासिल कर लेते है। चतुर्भुज ने बताया की उनका यहाँ पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में एडमिशन हुआ है, लेकिन उनका सपना एक आईएएस अधिकारी बन देश की सेवा करना है।

इन्डियन स्कूल ऑफ माइंस आईआईटी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. प्रमोद माथुर ने बताया कि हो सकता है चतुर्भुज इस वर्ष देश में आईआईटी में प्रवेश पाने वाले सबसे कम उम्र के छात्र हो। इसकी पूरी संभावना है। उन्होंने कहा कि ऐसे मेधावी छात्रों के यहाँ प्रवेश लेने से आज संसथान भी अपने आप को काफी गौरवान्वित महसूस कर रहा है। जितना कम उम्र में ये यहाँ से पारंगत होकर निकलेंगे उतना ही ज्यादा यह देश निर्माण में अपना योगदान दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कई और ऐसे छात्रों ने भी देश के अलग अलग आईआईटी संस्थानों में अपना नामांकन करवाया है जीन्होंने न सिर्फ अपनी पढ़ाई एक साधारण से स्कूल से पूरी की है बल्कि उनका समाज भी काफी साधारण वर्ग से आता है। जिसमें आदिवासी समाज के छात्र भी शामिल है। ये देश के लिए एक अच्छा सन्देश है।
हम बता दें कि सबसे कम उम्र में आईआईटियन बनने का गौरव बिहार के भोजपुर जिला के रहने वाले सत्यम कुमार को प्राप्त है। वैसे तो इन्होंने वर्ष 2012 में ही जब वो महज 12 वर्ष के थे तभी इस प्रवेश परीक्षा को पास कर लिया था लेकिन इन्हें अपनी उम्र के कारण एक वर्ष का इंतजार करना पड़ा और इन्होंने एक साल बाद पुनः 2013 में इसकी प्रवेश परीक्षा पास की और सबसे कम उम्र के आईआईटियन बनकर उभरें।

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