झारखण्ड: माँ गंगा जलाभिषेक करती हैं इस ऐतिहासिक शिवालय में

AJ डेस्क: आज सावन का अंतिम सोमवार है। देशभर के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों का मेला लगा हुआ है। दरअसल देवों में देव महादेव ऐसे भगवान हैं जो सिर्फ जलाभिषेक से ही खुश हो जाते हैं। सोमवार का दिन चंद्र का दिन होता है और चंद्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं। इस दिन पूजा करने से न केवल चंद्रमा बल्कि भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होती है। तो आज के दिन हम आपकों झारखण्ड का एक चमत्कारी और काफी ऐतिहासिक मंदिर की ओर लिए चलते है। यह मंदिर भगवान शिव और माँ गंगा से ही जुड़ा है।

 

 

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दैवीय शक्ति का अनोखा चमत्‍कार

झारखंड के रामगढ़ में एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं। भगवान को कोई माने या न माने लेकिन वह अपनी शक्ति और उपस्थिति का एहसास किसी न किसी रूप में करा ही देते हैं। ऐसा ही एक चमत्‍कारी मंदिर झारखंड में मौजूद है जो दैवीय शक्ति का अनोखा चमत्‍कार है मंदिर की खासियत यह है कि यहां जलाभिषेक साल के बारह महीने और चौबीस घंटे होता है। यह पूजा सदियों से चली आ रही है। माना जाता है कि इस जगह का उल्‍लेख पुराणों में भी मिलता है। भक्तों की आस्‍था है कि यहां पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर को लोग टूटी झरना के नाम से जानते है।

 

 

 

 

अंग्रेजों की खोज है ये मंदिर

मंदिर का इतिहास 1925 से जुड़ा हुआ है और माना जाता है कि तब अंग्रेज इस इलाके से रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे। पानी के लिए खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के अन्दर कुछ गुम्बदनुमा चीज दिखाई पड़ा। अंग्रेजों ने इस बात को जानने के लिए पूरी खुदाई करवाई और अंत में ये मंदिर पूरी तरह से नजर आया। मंदिर के अन्दर भगवान भोले का शिव लिंग मिला और उसके ठीक ऊपर मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा मिली। प्रतिमा के नाभी से आपरूपी जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है। मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से स्वंय पानी निकलना अपने आप में एक कौतुहल का विषय बना है।

 

 

 

 

नहीं सूखती यहां की नदी

सवाल यह है कि आखिर यह पानी अपने आप कहा से आ रहा है। ये बात अभी तक रहस्य बनी हुई है। कहा जाता है कि भगवान शंकर के शिव लिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं। यहां लगाए गए दो हैंडपंप भी रहस्यों से घिरे हुए हैं। यहां लोगों को पानी के लिए हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसमें से अपने-आप हमेशा पानी नीचे गिरता रहता है। वहीं मंदिर के पास से ही एक नदी गुजरती है जो सूखी हुई है लेकिन भीषण गर्मी में भी इन हैंडपंप से पानी लगातार निकलता रहता है।

 

 

 

 

पूरी होती है हर मुराद

लोग दूर-दूर से यहां पूजा करने आते हैं और साल भर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा ही रहता है। श्रद्धालुओं का मानना हैं कि टूटी झरना मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप के दर्शन कर लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है। भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर भी ले जाते हैं। इसे ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है और दुखों से लड़ने की ताकत भी मिल जाती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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