आयकर के बॉलिंग से सेंचुरी ठोक रहा प्याज गिरा धड़ाम से, धनबाद प्रशासन कर क्या रहा?
AJ डेस्क: अब प्याज रुलाने लगा है। अभी जनता रो रही है कुछ दिन बाद नेता रोएंगे। आखिर डबल इंजन की सरकार प्याज के बेतहाशा बढ़ रही दाम पर अंकुश क्यों नही लगा पा रही। जबकि देश में विदेशों से प्याज का आवक भी शुरू हो चुका है। यहां की सरकार ने भी विशेष काउंटर बना कर कंट्रोल रेट में प्याज उपलब्ध कराने की बात कही थी।
बाजार के पंडित भी नही समझ पा रहे कि प्याज का रेट आखिर बढ़ता ही क्यों जा रहा है। प्याज का नया फसल तो अभी बाजार में आया नही है कि मान लिया जाए किसान ही रेट बढ़ाकर बेच रहे हैं। थोक विक्रेताओं के यहां माल की कमी होती तो बाजार में भी प्याज कम नजर आता जबकि मंझोले और छोटे व्यापारी जितना चाहते हैं उतना माल उन्हें मिल ही रहा है। फिर आखिर गड़बड़झाला है कहाँ। सरकार इस खेल का खुलासा क्यों नही कर पा रही।
देश की राजधानी दिल्ली में तो प्याज सेंचुरी ठोक चुका था यानि एक सौ रूपये प्रति किलो बिक रहा था। केंद्र सरकार ने हाल ही में एक लाख टन प्याज का आयात करने करने का निर्णय लिया था। विदेशी प्याज आना भी शुरू हो गया लेकिन इससे उसके रेट पर कोई असर पड़ता नही दिखा। अंततः आयकर विभाग ने मोर्चा संभाला।
आयकर विभाग ने महाराष्ट्र के नासिक स्थित लासलगांव सहित देश के विभिन्न स्थानों पर प्याज के थोक व्यापारियों के यहां ताबड़तोड़ छापामारी शुरू कर दिया। छापामारी शुरू होते ही इस बात का खुलासा होने लगा कि जमा खोरी के कारण ही प्याज का रेट आसमान छू रहा था। आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद प्याज का रेट गिरने लगा।
झारखण्ड सरकार या धनबाद जिला प्रशासन का आपूर्ति विभाग क्या जन वितरण की दुकानों से हटकर कभी मंडी की तरफ भी ध्यान देगा कि हरी सब्जियों से लेकर प्याज का रेट सभी का घरेलू बजट बिगाड़ रहा है। हरी सब्जियां तो गजब का कहर ढाए हुए है। 50 रूपये से लेकर दो सौ रूपये किलो तक हरी सब्जियां बिक रही हैं। सम्बंधित सरकारी विभाग कान में तेल डालें कुम्भकर्णी नींद सोए हुए है।
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