उजह नदी का पानी नहीं जा पाएगा पाकिस्तान

AJ डेस्क: सरकार ने जम्मू कश्मीर में रावी की सहायक ‘उज्ह नदी’ का पानी पाकिस्तान जाने से रोकने के लिए तैयार बहु-उद्देशीय योजना का तेज़ी से कार्यान्वयन करने का निर्णय लिया है। जल शक्ति मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने पीटीआई को बताया, ‘जम्मू कश्मीर में रावी की सहायक उज्ह नदी का पानी पाकिस्तान जाने से रोकने के लिए बनाई गई बहु-उद्देशीय योजना के तेजी से कार्यान्वयन के इरादे से आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में इस पर व्यापक चर्चा हुई।’

 

 

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में हाल ही में संपन्न इस बैठक में जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया सहित संबंधित विभागों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया था। अधिकारी ने बताया, ‘योजना कठुआ जिले में कार्यान्वित होगी और इसके तहत 781 एमसीएम पानी का भंडारण किया जाएगा। इस योजना के माध्यम से, सिंधु जल समझौते के अनुसार भारत के हिस्से के पानी का बेहतर इस्तेमाल किया जाएगा।’

 

 

उन्होंने बताया कि परियोजना के डीपीआर को जुलाई 2017 में तकनीकी मंजूरी दी जा जुकी है और इस पर काम तेजी से आगे बढ़ाने के लिये तकनीकी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है । मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि 5850 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना से उज्ह नदी पर 781 एमसीएम जल का भंडारण किया जा सकेगा जिसका इस्तेमाल सिंचाई और बिजली बनाने में होगा। इस पानी से जम्मू-कश्मीर के कठुआ, हीरानगर और सांबा जिलों में 31,380 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई और पेयजल की आपूर्ति हो सकेगी।

 

 

यह एक राष्ट्रीय परियोजना है जिसे केंद्र की ओर से 4892.47 करोड़ रुपये की मदद दी जा रही है। यह मदद मुख्यत: परियोजना के सिंचाई संबंधी हिस्से के लिए होगी। परियोजना के लिए विशेष मदद पर भी विचार किया जा रहा है। जल शक्ति मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सिंधु नदी प्रणाली में प्रमुख रूप से सिंधु, झेलम, चेनाब, रावी, व्यास और सतलुज नदियां शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान में इन्हीं नदियों के बहाव वाला क्षेत्र (बेसिन) आता है जिसका एक बहुत छोटा हिस्सा चीन और अफगानिस्तान में भी है।

 

 

भारत और पाकिस्‍तान के बीच 1960 में हुई सिंधु नदी जल संधि के तहत इस नदी की सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में वर्गीकृत किया गया। इस वर्गीकरण के तहत सतलुज, व्यास और रावी पूर्वी नदियां तथा झेलम, चेनाब और सिंधु पश्चिमी नदियां हैं। समझौते के मुताबिक, कुछ अपवाद छोड़ कर भारत पूर्वी नदियों का पानी बिना रोकटोक के इस्तेमाल कर सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Article पसंद आया तो इसे अभी शेयर करें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »