आखिर स्कूली बच्चों को एक दिन में 40-40 अंडे क्यों खाने पड़ेंगे, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
AJ डेस्क: झारखंड के प्रारंभिक स्कूलों के बच्चे छह महीने के 40 अंडे का कोटा एक दिन में ही खाएंगे। बच्चों को अगस्त 2020 से जनवरी 2021 तक अंडा की राशि नहीं दी जा सकी है लिहाजा अब झारखंड मध्याह्न भोजन प्राधिकरण इन छह महीने के अंडा के लिए राशि उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहा है। इस राशि से स्कूल प्रबंधन बच्चों को एक साथ छह महीने का अंडा या फल खरीद कर उपलब्ध कराएंगे। हर बच्चे को करीब 40-40 अंडे मिलेंगे।
पहली से आठवीं तक के स्कूली बच्चों को पोषाहार के लिए सप्ताह में दो दिन (सोमवार और बुधवार) अंडा या फल देने का प्रावधान है। इस आधार पर किसी सोमवार या बुधवार को छुट्टी नहीं रहने पर हर महीने अधिकतम आठ अंडे मिलने हैं। अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक 84 दिनों का अंडा छात्र छात्राओं को मिलना है। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने जुलाई 2020 तक 30 दिनों के अंडा की राशि का वितरण किया है। यह राशि स्कूली बच्चों के बैंक खाते में ट्रांसफर की गई थी। अब अगस्त से जनवरी 2021 तक की राशि सीधे स्कूलों को दी जाएगी। इसके बाद विद्यालय प्रबंध समिति कुकिंग कॉस्ट की राशि की सामग्री की तर्ज पर अंडा खरीद कर बच्चों को उपलब्ध कराएगी। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने अक्टूबर 2020 से बच्चों के बैंक खाते में सीधे राशि देने की बजाय उस राशि से सामग्री खरीद कर देने का निर्णय लिया है। इसमें अक्टूबर से पहले के महीने की राशि अगर किसी कारणवश नहीं दी गई है तो उस राशि के जारी होने पर भी सामग्री खरीद कर देने का प्रावधान लागू रहेगा।
स्कूली बच्चों को मिड डे मील के साथ पोषाहार के रूप में सप्ताह में दो दिन अंडा या फल देने का प्रावधान है। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण का मानना है कि बच्चों को अंडा देने से उनका पोषण तेजी से बढ़ेगा। पिछले सात महीने से जो बच्चे घर पर रहकर मिड डे मील के चावल का स्वाद तो ले रहे हैं, लेकिन पोषण के लिए दिए जाने वाले अंडा या फल उन्हें नहीं मिल रहा है।
मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के उपनिदेशक मुकेश सिन्हा ने कहा, ‘स्कूलों को अंडा या फल के लिए राशि देने की तैयारी की जा रही है। कुकिंग कॉस्ट की राशि से सामग्री खरीद कर देने की तर्ज पर अंडा की राशि से भी अंडा या फल देने का निर्देश दिया गया है। किसी कारण से इसके उपलब्ध नहीं होने पर राशि दे सकेंगे।’
वहीं झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा, ‘कुपोषित बच्चे को लेवल-अप करने के लिए अंडा दिया जाता है। लॉक डाउन की अवधि में कई महीनों से इन बच्चों को राशि की कमी के कारण अंडा नहीं दिया जा रहा है। स्कूल बंद रहने पर सरकार को नियमित हर महीने इसकी राशि उपलब्ध करानी चाहिए।’
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