‘भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लीचिंग विधेयक, 2021’ विधान सभा से पारित
AJ डेस्क: मॉब लिंचिंग और हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। झारखंड विधानसभा में मंगलवार को ‘भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक, 2021’ पारित किया गया। सरकार की ओर से कहा गया है कि भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए यह विधेयक लाया गया। इस कानून के तहत उम्रकैद की सजा हो सकती है।
इस कानून के तहत गैर जिम्मेदार तरीके से किसी सूचना को शेयर करना, पीड़ितों और गवाहों के लिए शत्रुतापूर्ण वातावरण बनाने पर भी एफआईआर दर्ज की जाएगी। साथ ही पीड़ितों का मुफ्त उपचार भी इस कानून के प्रावधान में है।
‘भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक, 2021’ को मंगलवार को राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में पेश किया गया। विधेयक के अनुसार, इसका उद्देश्य “प्रभावी सुरक्षा” प्रदान करना है। इसके साथ ही संवैधानिक अधिकार और भीड़ की हिंसा की रोकथाम इसका उद्देश्य है। इससे पहले पश्चिम बंगाल और राजस्थान में मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बना है।
मॉब लिंचिंग के आते रहे हैं मामले-
राज्य में मॉब लिंचिंग 2019 में तब चर्चा में आया, जब 24 वर्षीय तबरेज अंसारी को चोरी के संदेह में सरायकेला खरसावां जिले के धतकीडीह गांव में भीड़ ने डंडे से बांधकर पीट-पीटकर मार डाला। इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा था कि वह इस घटना से आहत हैं। झारखंड में अक्सर भीड़ द्वारा चोरी के मामले में पिटाई तो कभी डायन कह कर पीटने के मामले आते रहे हैं।
झारखंड में 2019 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भीड़ की हिंसा की घटनाओं की निंदा की थी। वहीं, इस साल की शुरुआत में, झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाली सरकार ने उच्च न्यायालय से फटकार के बाद ऐसे मामलों से निपटने के लिए जिला स्तरीय समितियां बनाने का फैसला किया था।
हो सकती है उम्रकैद-
बिल में मॉब लिंचिंग को कहा गया है कि किसी ऐसी भीड़ द्वारा धार्मिक, रंग भेद, जाति, लिंग, जन्मस्थान या किसी अन्य आधार पर हिंसा करना मॉब लिंचिंग कहलाएगा। वहीं इस घटना को दो या दो से ज्यादा लोगों के द्वारा किया जाएगा तो उसे मॉब कहा जाएगा।
इस बिल में लिंचिंग के दोषी पाए जाने वालों के लिए जुर्माने और संपत्तियों की कुर्की के अलावा तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की जेल की सजा का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, यह कानून “शत्रुतापूर्ण वातावरण” बनाने वालों के लिए तीन साल तक की कैद और जुर्माना की अनुमति देता है। शत्रुतापूर्ण वातावरण की परिभाषा में पीड़ित, पीड़ित के परिवार के सदस्यों, गवाह या गवाह/पीड़ित को सहायता प्रदान करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ धमकी या जबरदस्ती करना शामिल है।