पर्यावरण को ध्यान में रख खनन की नई तकनीक अपनावें- राज्यपाल बैस
AJ डेस्क: इंडियन माइन मैनेजर्स एसोसिएशन की स्थापना के 100 वर्ष और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) की स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने पर दो दिवसीय संयुक्त राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन धनबाद स्थित कोयला नगर सामुदायिक भवन में आज से शुरू हुआ है। इस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में किया। इस दौरान राज्यपाल ने कोल माइनिंग के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित भी किया।
उद्घाटन समारोह में राज्यपाल के आगमन से पूर्व बरवाअड्डा स्थित हवाई अड्डा में हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद राज्यपाल सीधे धनबाद सर्किट हाउस पहुंचे। जहां जिला पुलिस के जवानों के द्वारा उन्हें गार्ड ऑफ़ ऑनर दी गई। मौके पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्यपाल ने पुलिस प्रशासन को निशाने पर लिया। रमेश बैस ने कहा कि धनबाद में सरकारी महकमों की मिली भगत से कोयला चोरी को अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोयला राष्ट्र की संपत्ति है और इसके चोरी से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचता है, लिहाजा अवैध तस्करी को रोका जाना चाहिए।

इसके साथ ही कार्यक्रम में उन्होंने इंडियन माइन मैनेजर्स एसोसिएशन को स्थापना के 100 वर्ष और बीसीसीएल को 50 वर्ष पूरे करने पर बधाई व शुभकामनाएँ दी और दोनों संस्थाओं को इस संगोष्ठी के आयोजन के लिए भी बधाई दी। उन्होंने कहा खनन उद्योग का झारखण्ड राज्य की अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। धनबाद कोयला खनन के क्षेत्र में पूरे देश में प्रसिद्ध है। इसे देश की कोयला राजधानी भी कहा जाता है। यहां पर कोयले की अनेक खदानों में विभिन्न प्रकार के खनिज पाए जाते हैं।

राज्यपाल ने कहा खनन गतिविधियों का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, पर्यावरण को इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव झेलना पड़ता है, जिसमें वनों की कटाई, जल तथा वायु प्रदूषण शामिल हैं। इन प्रभावों को कम करने और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए खनन कंपनियों को नई तकनीकों पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा खनन कंपनियों को सामाजिक दायित्वों के तहत शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में भी ध्यान देने की जरूरत है। शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करके हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आने वाले वर्षों में राज्य और देश के पास कुशल और सक्षम कार्यबल हो। सही नीतियों, निवेश और कुशल कार्यबल के साथ प्राकृतिक संसाधनों की पूरी क्षमता से उपयोग कर अपने देश के लिए स्थायी आर्थिक विकास में भागीदार हो सकते हैं।
