नापाक को लगी मिर्ची: विरोध काम नहीं आया, आई ओ सी में भारत को निमंत्रण

AJ डेस्क: पाकिस्तान विरोध करता हुआ थक गया, भारत के दबदबे को 57 इस्लामिक देशों के संगठन- ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन ने सैल्यूट किया। यूएई की ओर से भारत को ओआईसी में बतौर ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ आमंत्रित करते हुए कही गई बातें गौर करने लायक है- “विश्व में भारत के बड़े राजनीतिक कद और उनकी बेमिसाल सास्कृतिक विरासत को ध्यान में रखते हुए उन्हें ओआईसी की बैठक में बुलाने का फैसला किया गया है।”

पाकिस्तान को क्यों लगी मिर्ची?

भारत मुस्लिमों की आबादी के लिहाज से तीसरा सबसे बड़ा देश है। लेकिन पाकिस्तान को ये कभी मंजूर नहीं हुआ कि भारत ओआईसी में हो। लेकिन जब ऐसा हो गया, तो ये पाकिस्तान के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब यूएई भारत को आमंत्रित करने पर अड़ गया, तो पाकिस्तानी विदेश मंत्री कुरैशी ने बैठक के बायकाट तक की धमकी दे दी। एक पाकिस्तानी टीवी चैनल पर कुरैशी ये कहते हुए सुने गए कि- “ओआईसी या किसी इस्लामिक देश को लेकर मुझे कोई ऐतराज नहीं है। मेरा ऐतराज भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को बैठक में शामिल करने पर है। अगर स्वराज बैठक में शामिल होती हैं, तो मैं शामिल नहीं होऊंगा।” दरअसल, पाकिस्तान को मिर्ची लगनी स्वाभाविक है। क्योंकि हमारा पड़ोसी दुश्मन देश 57 देशों के इस मंच का इस्तेमाल हमारे खिलाफ जहर उगलने के लिए करता रहा है।

भारत की जगह ओआईसी में तो बनती है

ओआईसी में शामिल 57 देशों में से 47 देश मुस्लिम बहुल हैं। इन देशों की कुल आबादी 1.9 बिलियन से ज्यादा है। खास बात ये है कि भारत इस ऑर्गेनाइजेशन में न तो सदस्य है और न ही ऑब्जर्वर। हालांकि भारत में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है। 50 साल पहले 1969 में मोरक्को में संगठन की पहली मीटिंग में शामिल होने के लिए भारत के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को न्योता दिया गया था, लेकिन पाकिस्तान के विरोध की वजह से भारतीय प्रतिनिधिमंडल को बीच से ही निकलना पड़ा था।

भारत-पाकिस्तान टेंशन के दौर में पाक को तमाचा

सबसे खास बात ये है कि भारत ओआईसी के मंच पर ऐसे वक्त में पहुंचा है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते बेहद तल्ख हैं। ऐसे में पाकिस्तानी विरोध को भारत ने ये कहकर मुंह चिढ़ाया कि- “भारत को ये आमंत्रण देश में रहने वाले 185 मिलियन मुस्लिमों को स्वागतयोग्य मान्यता देने की तरह है। साथ ही, ये बदलाव इस्लामिक वर्ल्ड के लिए भारत के योगदानों को भी जाहिर करता है।”

भारत की यहां मौजूदगी पाकिस्तान को इस वजह से भी परेशान कर रही है क्योंकि अब तक इस संगठन के देश कुछ विवादित मुद्दों पर पाकिस्तान का पक्ष लेते रहे हैं। इसमें कश्मीर का मुद्दा भी शामिल है। पाकिस्तान इस मंच पर अकसर कश्मीर में मानवाधिकार का मुद्दा उठाता है और भारत को नीचा दिखाने की कोशिश करता है। लेकिन इस बार स्थितियां बदली हुई हैं। अब भारत भी अपना पक्ष रखने के लिए उसी मंच पर मौजूद है, जिसका दुरुपयोग पड़ोसी मुल्क करता रहा है।

एक बड़ी अहम बात ये भी देखने वाली रहेगी कि क्या ओआईसी औपचारिक रूप से भारत और पाकिस्तान के संबंधों को सामान्य करने की कोशिश भी करेगा? ऐसे कयास इसलिए भी लगाए जा रहे हैं क्योंकि संगठन दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव की निंदा करते हुए मसलों को बातचीत से निपटाने की सलाह दे चुका है।

धीरे-धीरे बढ़ते हुए भारत को मिला ये मुकाम

पश्चिम एशिया के साथ पिछले कुछ सालों में भारत के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं। खासतौर से इधर यूएई भारत के काफी करीब आया है। इसी का नतीजा रहा कि पिछले दिनों अगस्ता वेस्टलैंड केस में भारतीय आग्रह पर यूएई राजीव सक्सेना और क्रिश्चियन मिशेल को डिपोर्ट करने के लिए तैयार हो गया। इससे पहले 2002 में कतर ने सबसे पहले भारत को इस संगठन के अंदर ऑब्जर्वर के रूप में रखने वकालत की थी। जबकि पिछले साल टर्की और बांग्लादेश ने इसमें भारत को शामिल करने की जरूरत बताई थी। भारत के रिश्ते संगठन के सदस्य देशों के साथ पिछले सालों में काफी अच्छे रहे हैं।

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