तृणमूल के अजेय किला को ध्वस्त कर प. बंगाल में खिला कमल, पर ये मुमकिन कैसे हुआ?

AJ डेस्क: 2014 का चुनाव ऐतिहासिक चुनाव था। तब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी को 282 सीटें म‍िलीं। घटक दलों को मिलाकर एनडीए को कुल 372 सीटें पूरे देश में मिली थीं। हर तरफ भाजपा की लहर दिखाई दी थी लेकिन पश्चिम बंगाल में बीजेपी को केवल 2 सीटों पर संतोष करना पड़ा। केंद्र में मोदी सरकार बनी और संगठन की समीक्षा के बाद पार्टी ने तभी से इस कमजोर क‍िले को मजबूत करने का काम शुरू कर द‍िया था। इस बार पश्चिम बंगाल में काटे का मुकाबला देखने को मिला। जिसके परिणाम स्वरुप ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) 22 तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की है। भाजपा ने यहां टीएमसी को जबरदस्‍त टक्‍कर देते हुए उसके गढ़ मे घुस कर तृणमूल का अजेय किला को ध्वस्त कर दिया है। लेकिन क्या ये सब इतना आसान था? आखिर कौन है वो सेना नायक? जिसने ममता दीदी के इस अजेय किले को ध्वस्त करने की न सिर्फ जिम्मेवारी ली बल्कि उसपे खरे भी उतरे।

 

 

तत्‍कालीन भाजपा अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह गृहमंत्री बने और पार्टी की कमान अमित शाह के हाथों में आ गई। अमित शाह के नेतृत्‍व में पार्टी ने संगठन का पूरा नवीनीकरण कर दिया। संघ से जुड़े कई तेजतर्रार चेहरों को बीजेपी में लाया गया और महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारियां दी गईं। इन्‍हीं महत्‍वपूर्ण लोगों में एक थे शिव प्रकाश जोकि उस वक्‍त आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक (उत्‍तराखंड, मेरठ और ब्रज प्रांत को मिलाकर क्षेत्र बनता है।) थे। शिव प्रकाश ने पहले उत्‍तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में पार्टी को भीतर से मजबूत करने का काम किया और परिणामस्‍वरूप 325 विधानसभा सीटें जीतकर बीजेपी ने एक इतिहास रच दिया।

 

 

 

उसके बाद भाजपा ने उन्‍हें पश्चिम बंगाल की कमान सौंपी। हर सप्‍ताह पश्चिम बंगाल के अलग अलग इलाकों में लोगों से संपर्क कर संगठन को खड़ा किया, कार्यकर्ताओं को मजबूत किया। कार्यकर्ताओं को हौंसला मिला तो काम भी धरातल पर दिखाई देने लगा। गली गली बैठकें हुईं और भाजपा की स्‍थानीय इकाई ने लोगों का डाटा जुटाया। इस डाटा के आधार पर शिवप्रकाश ने कार्यकर्ताओं के परिवारों में संपर्क बनाया। लगभग एक साल में उन्‍होंने पश्चिम बंगाल की हर विधानसभा का दौरा किया।

 

 

2019 लोकसभा चुनाव के परिणाम के अनुसार पश्‍चिम बंगाल में भाजपा को 18 सीटें मिली। यह नतीजे शिवप्रकाश की भूमिका और मेहनत का ही परिणाम है। यह भी कह सकते हैं की शिवप्रकाश ने बंगाल में संगठन को इतना मजबूत कर दिया है कि भविष्‍य के हर चुनाव में भाजपा बेहतर स्थिति में रहेगी।

 

 

 

 

कौन हैं शिवप्रकाश: संघ से जुड़े रहने के बाद पश्चिमी यूपी के अमरोहा में तहसील प्रचारक के तौर पर 1986 में शुरुआत करने वाले शिव प्रकाश मेरठ, अल्मोड़ा और देहरादून में भी संघ के प्रचारक रहे। इसके बाद उन्हें 2000-09 के बीच उत्तराखंड का प्रांत प्रचारक नियुक्त किया गया था। उन्हें 2014 में क्षेत्र प्रचारक बनाया गया था। 2016 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना दमखम दिखा दिया। 2016 में बीजेपी ने 70 से अधिक सीटों पर विपक्षी वाम मोर्चे और कांग्रेस के गठबंधन का खेल बिगाड़ने का काम किया। हालांकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को हासिल हुए मतों का प्रतिशत वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के 17.5 प्रतिशत की तुलना में गिरकर इन विधानसभा चुनावों में 10.2 प्रतिशत पर आ गया था लेकिन पहली बार पार्टी ने इस राज्य में अपने दम पर चुनाव लड़कर तीन सीटें हासिल की थीं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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