पुण्य तिथि पर: “यूँ ही कोई ‘अटल’ हो जाता, कर गए ऐसे काम—–“

AJ डेस्क: ‘अटल जी’ या अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसा नाम जिसका जिक्र जेहन में आते ही एक ऐसे सौम्य राजनेता की तस्वीर सामने सामने आती है जिसका मुकाबला करना तो दूर बड़े बड़े अच्छे राजनेता उनके व्यक्तित्व और काम के आस-पास भी नहीं फटक सकते। पिछले साल आज ही के दिन हर दिल अजीज अटल बिहारी वाजपेयी इस दुनिया से बहुत दूर जा चुके थे।

 

 

यूं तो ‘अटल जी’ सबके बीच खासे लोकप्रिय रहे हैं और उनकी बेजोड़ शख्सियत के चाहने वाले तमाम लोग रहे हैं मगर उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने जो कदम आम लोगों के लिए उठाए वो उन्हें बेहद लोकप्रिय बनाते हैं। ‘अटल जी’ जब प्रधानमंत्री रहे थे तो उन्होंने अपने इस कार्यकाल में तमाम ऐसे काम किए जो आज भी उनकी याद दिलाते हैं।

 

 

 

 

 

 

अटल बिहारी वाजपेयी की दूरदृष्टि वाला राजनेता कहा जाता था उन्होंने देश के विकास के लिए कई योजनायें बनाई ना सिर्फ बनाईं बल्कि उन्हें जमीनी धरातल पर भी उतारा।

 

 

 

 

एक नजर ‘अटल जी’ के किए तमाम कामों पर-

पोखरण में परमाणु परीक्षण

मई 1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था ये ‘अटल जी’ के कार्यकाल की बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है, भारत परमाणु संपन्न देश है दुनिया को ये दिखाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने इतना बड़ा कदम उठाया था।अमेरिका सहित पश्चिम देशों के दबावों के बावजूद वाजपेयी ने साहसिक फैसला किया।

 

 

परमाणु परीक्षणों के बाद देश को प्रतिबंधों के दौर से गुजरना पड़ सकता है ये जानते हुए भी उन्होंने इसकी परवाह नहीं की और देशहित में साहसिक फैसला लिया। उनके निर्देश पर भारत ने पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण किए। इन परीक्षणों के बाद भारत पूर्ण रूप से परमाणु हथियार संपन्न देश बन गया।

 

 

स्वर्ण चतुर्भुज योजना

‘अटल जी’ के जिस काम को खासा अहम माना जा सकता है वो सड़कों के माध्यम से भारत को जोड़ने की योजना है, अटल बिहारी वाजपेयी देश के चार बड़े  महानगरों चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को जोड़ने के लिए स्वर्ण चतुर्भुज योजना शुरू की। औद्योगिक विकास को गति देने और परिवहन की सुगमता के लिए यह परियोजना क्रांतिकारी साबित हुई।

 

 

वाजपेयी जी का ध्यान केवल शहरों तक ही सीमित नहीं था। गावों में सड़कों का जाल बिछाने और उन्हें शहरों से जोड़ने के लिए उन्होंने महात्वाकांक्षी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की। ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ इतना केवल शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था।

 

 

 

 

 

निजीकरण की पहल

अटल विहारी वाजपेयी ने बिजनेस को बढ़ावा देते हुए सरकार की भागीदारी को कम किया और इसके लिए उन्होंने अलग से विनिमेश मंत्रालय बनाया था। वाजपेयी जी देश को तेजी से तरक्की के रास्ते पर ले जाना चाहते थे। वाजपेयी जी को यह अहसास था कि केवल सरकार की भागीदारी से देश तेजी से विकास नहीं कर सकता। उन्होंने भारत के आर्थिक विकास की गति बढ़ाने के लिए देशी उपक्रमों में विनिवेश का फैसला किया।

 

 

इसके लिए उन्होंने एक अलग विनिवेश मंत्रालय की स्थापना की। उन्होंने भारतीय पेट्रोकेमिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड एवं वीएसएनल में विनिवेश का फैसला किया। इसे वाजपेयी का दूरदर्शी फैसला माना जाता है।

 

 

 

 

संचार क्रांति को दिया बढ़ावा

भारत में संचार क्रांति को आम लोगों तक पहुंचाने का काम अटल सरकार ने ही किया था,उन्होंने नई दूरसंचार नीति के तहत रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पेश किया जिसने दूरसंचार कंपनियों को खासी मदद दी। 1999 में ‘अटल जी’ बीएसएनएल के एकाधिकार को ख़त्म करते हुए नई टेलिकॉम नीति लागू की थी।

 

 

पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल

19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की थी। वाजपेयी जी कहा करते थे कि आप दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं।

 

 

 

 

पाकिस्तान के लिए उनकी यह सोच हमेशा काम करती रही। उनका मानना था कि युद्ध और हिंसा से दोनों तरफ नुकसान होगा। पाकिस्तान के साथ शांति-सौहार्द और विश्वास बहाली के लिए उन्होंने राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ दिल्ली और आगरा में वार्ता की। साल 1999 में वाजपेयी बस लेकर लाहौर गए और नवाज शरीफ के साथ वार्ता की। उनके इन प्रयासों की सराहाना आज पाकिस्तान भी कर रहा है।

 

 

सर्व शिक्षा अभियान

6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त प्राथमिक शिक्षा देने के लिए एक सामाजिक योजना की शुरूआत की गई थी, 2001 में वाजपेयी सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान को लॉन्च किया था।

 

 

 

 

 

वाजपेयी सरकार के अन्य प्रमुख कार्य ये भी हैं-

एक सौ साल से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया। संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया।

राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये। उड़ीसा के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया। ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की।

 

 

 

 

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