सेल खुले बाजार में भी निपटा सकता है उत्पादित लौह अयस्क- मंत्रालय

AJ डेस्क: खनन मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि उसने सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) को पिछले साल उत्पादन किये गये कुल लौह अयस्क का 25 प्रतिशत हिस्सा खुले बाजार के माध्यम से निपटाने की अनुमति दी है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हालांकि, ऐसा करना उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संबंधित राज्य सरकारों से मंजूरी के अधीन होगा, जहां ये खदानें स्थित हैं। यह दो साल की अवधि के लिए वैध होगा।

 

 

इस्पात मंत्रालय के तहत इस्पात बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी की झारखंड, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में 20 से अधिक निजी इस्तेमाल के लिए खदानें हैं। मंत्रालय ने कहा कि एमएमडीआरए कानून 1957 की धारा 8-ए (6) के प्रावधान के अनुसार, 31 कार्यशील लौह अयस्क खानों के पट्टे की अवधि अगले वर्ष 31 मार्च, 2020 को समाप्त हो रही हैं, और इससे बाजार में छह करोड़ टन लौह अयस्क की कमी होने की उम्मीद है।

 

 

 

 

खदान मंत्रालय ने कहा है कि घरेलू इस्पात निर्माताओं की मांग को पूरा करने के लिए बाजार में लौह अयस्क की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने की आवश्यकता है। मंत्रालय ने कहा है कि सेल के पास अपने निजी उपयोग वाले खानों से वर्ष 2020-21 में 70-80 लाख टन और वर्ष 2021-22 में एक से 1.2 करोड़ टन तक लौह अयस्क उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है।

 

 

इसने कहा गया है कि कंपनी के इस्पात संयंत्रों को तय की गई मात्रा और अयस्क की गुणवत्ता के आधार पर प्रसंस्कृत करने के हिसाब से बनाया गया है और निजी इस्तेमाल वाले खानों से उत्पादन बढ़ने की स्थिति में उसका संयंत्र में खपत नहीं किया जा सकता है। इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक बयान में कहा, ‘भारतीय इस्पात उद्योग के लिए कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारे एजेंडे में सबसे ऊपर है। हमारी सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाये हैं तथा खान मंत्रालय द्वारा पारित आदेश इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’

 

 

दरअसल इससे कंपनी अपने सप्लाई ऑर्डर को भी पूरा कर सकेगी, क्योंकि कंपनी को घरेलू लौह अयस्क की आवश्यकता को पूरा करने में भी कई बार चुनौती का सामना करना पड़ा है। खनन मंत्रालय का यह ताज़ा आदेश पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा स्टील मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की उन कोशिशों का नतीजा है, जिसके लिए उन्होंने मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही प्रयास तेज कर दिए थे।

 

 

केंद्रीय इस्पात मंत्री की पहल पर लिए गए इस फैसले से सेल को भी राजस्व के मोर्चे पर फायदा होने की उम्मीद है। दरअसल इससे कंपनी अपने सप्लाई ऑर्डर को भी पूरा कर सकेगी, क्योंकि कंपनी को घरेलू लौह अयस्क की आवश्यकता को पूरा करने में भी कई बार चुनौती का सामना करना पड़ा है। उल्लेखनीय है कि खान मंत्रालय की ओर से जारी किए गए एक अन्य आदेश में, सेल को उसके के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थित निजी खदानों में डंप पड़े 70 मिलियन टन के पुराने लो ग्रेड आयरन फ़ाइन्स और स्लाइम सहित ओर के भंडारण को निपटाने की भी मंजूरी दी गई है।

 

 

 

एमएमडीआर (माइन्स एन्ड मिनिरल्स डेवलपमेन्ट) एक्ट 1957 के मुताबिक आयरन ओर के 31 सक्रिय खदानों का अनुबंध  31 मार्च, 2020 तक समाप्त हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक इसके बाद घरेलू बाजार में लौह अयस्क लगभग  60 मिलियन टन हो सकता है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने खान मंत्रालय की ओर से लिए गए इस फैसले को इस्पात उद्योग में तेजी लाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि सरकार इस्पात और उससे जुड़े उद्योगों के हितों को प्राथमिकता के आधार पर हल कर रही है।

 

 

 

 

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