“अश्विन मास, शुक्ल पक्ष” में जल संकट बरसाती नेता भी हो गए भूमिगत
AJ डेस्क: अभी भी देश का कोई न कोई हिस्सा बाढ़ से त्रस्त है। रह रहकर इंद्र भगवन बरस ही जा रहे हैं। फिर भी कोयलांचल की लाखों की आबादी आश्विन मास में ही बून्द बून्द पानी के लिए तरस रही है। बरसाती मेढ़क की तरह इस चुनावी मौसम में टर्र टर्र करने वाले नेता भी जनता को उनके हाल पर छोड़ न जाने कहाँ भूमिगत हो गए हैं।
धनबाद के तीन विधान सभा क्षेत्र के बड़े हिस्से में झमाडा जलापूर्ति करती है। इसमें झरिया, धनबाद और बाघमारा विधान सभा क्षेत्र शामिल है और इन तीनों सीट से भाजपा के ही विधायक हैं। राज्य में भी भाजपा की ही सरकार है। इसके बाद भी कोयलांचल की बड़ी आबादी जल संकट से जूझ रही है। वह भी एक दो दिनों से नही बल्कि एक सप्ताह से।यहां मान लेते हैं कि सत्ताधारी दल के विधायकों की अपने ही सरकार के खिलाफ बोलने में मजबूरी हो सकती है लेकिन हाल के दिनों में जनता के हर सुख दुःख में ईमानदारी से साथ देने की बड़ी बड़ी बात करने वाले चुनावी बरसाती मेढ़क अब कहाँ गए। उनके दिल में जनता के लिए उमड़ रही दर्द, प्रेम कहाँ चली गयी। क्या अब उन्हें इन जनता का वोट नही चाहिए क्या।
झरिया का बड़ा हिस्सा झमाडा के जलापूर्ति व्यवस्था पर ही पूरी तरह निर्भर है। प्रशासन ने वहां जलापूर्ति का वैकल्पिक व्यवस्था भी कराया है जो नाकाफी है। झरिया बाजार छोड़कर अन्य हिस्से में जलापूर्ति नही हो पा रही है। धनबाद का केंदुआ, करकेंड, पुटकी और आस पास का क्षेत्र भी जल संकट से त्रस्त है। बाघमारा का कतरास और आस पास का इलाका भी झमाडा की व्यवस्था पर निर्भर है। अब जबकि झमाडा कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं तो स्वानुमान लगाया जा सकता है कि वहां के लोगों को कहाँ से पानी मिलता होगा।
सबसे पहले धनबाद विधान सभा की बात करते हैं। यहाँ के विधायक राज सिन्हा हड़ताली कर्मियों और जिला प्रशासन के बीच मध्यस्था करा अपना धर्म तो निभा चुके हैं। भले ही वह हड़ताल न तोड़वा पाए। झरिया विधायक संजीव सिंह जेल में बन्द हैं। उनकी पत्नी भाजपा नेत्री रागिनी सिंह झरिया से संभावित प्रत्याशी है। रागिनी सिंह चुनाव को लेकर क्षेत्र में सक्रिय भी हैं। वहां विधायक प्रतिनिधि भी प्रतिनियुक्त हैं। साथ ही अलग से और भी राजनैतिक सलाहकार भी हैं। सामान्य दिनों में भाजपा नेत्री रागिनी सिंह उपायुक्त, मेयर, सांसद से भेंट कर उनसे जनहित में बात करती हैं लेकिन झमाडा कर्मियों के लिए या उनकी हड़ताल के कारण लाखों की आबादी को हो रही परेशानी के मुद्दे पर वह और उनका मंत्रालय कुछ कर क्यों नही पा रहा। बाघमारा विधायक कुछ अलग ही परेशानी में खुद घिरे हैं तो वह अभी जनता के लिए कहाँ से समय निकाल पाएंगे।
सूबे में चुनाव की सुगबुगाहट शुरू होते ही बरसाती मेढ़क रूपी कई नेता क्षेत्र में सक्रिय हो चुके हैं। झरिया में ही कुछ संभावित प्रत्याशी पिछले दिनों अचानक मैदान चुनाव ए जंग में सक्रिय हो गए।एक नेता जो हर विधान सभा चुनाव के वक्त झरिया में क्रन्तिकारी बदलाव लाने की बात दहाड़कर अपना उल्लू सीधा कर मतदान के पहले गायब हो जाता है। वह नेता अभी फिर सक्रिय हुआ था लेकिन जल संकट की चर्चा मात्र से यह नेता गायब हो गया है। सत्ताधारी भाजपा या विपक्ष की पार्टियों से टिकट पाने की दौड़ में शामिल किसी भी नेता को जनता के इस दर्द से कोई लेना देना नही है ऐसा प्रतीत हो रहा है क्योंकि इनकी ओर से वोटर रूपी जनता के इस भयंकर कष्ट के निवारण के लिए किसी स्तर पर किसी भी रूप में कोई प्रयास नही किया जा रहा। जनता भी अपने इन चुनावी नेताओं के बारे में शायद कुछ समझने लगी है तभी तो वह किसी झंडा के नीचे नही अपनी पीड़ा के साथ सड़क पर उतर गई है।
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