“मेरी पार्टी-मेरी मर्जी”: आखिर भाजपा में कौन “मैनेजर राय” शामिल हुए, समाजसेवी या——-? (देखें वीडियो)

AJ डेस्क: पार्टी जिसकी है, उन्हें ही तो चलाना है। वह किसे पार्टी में शामिल करते हैं, किसे निकालते हैं, यह उनकी मर्जी। इससे भला दूसरों के पेट में क्यों दर्द होने लगा। धनबाद भाजपा के कार्यालय में आज पार्टी के दिग्गज नेताओं ने फूल माला के साथ समाज सेवी, उद्योगपति मैनेजर राय को भाजपा में शामिल कराया। इसके बाद लोगों के जेहन में एक और मैनेजर राय का नाम कौंधने लगा। वही जिसके विरुद्ध अभी हाल ही में कोयले का अवैध कारोबार करने की प्राथमिकी दर्ज हुई थी। लोग नाम की समानता से कन्फ्यूज्ड हो गए हैं जबकि भाजपा कह रही है यह तो समाज सेवी हैं।

 

 

 

 

चुनाव सर पर है। येन केन प्रकरेण अधिक से अधिक सीट पर कब्जा जमाना है। आंकड़ा की राजनीति जो ठहरी। यह सोच लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की है। फिर भाजपा इस रेस से अलग कैसे हो सकता है। भले ही पार्टी के बड़े बड़े नेता मंच से अनुशासन, सिद्धान्त की बात करते हों। यह कौन सी नई बात है, मंच पर दिए गए भाषण और प्रेटिक्ल में किए जाने वाले काम में कोई ताल मेल नही होता। राजनीति में जनता को लोक लुभावन भाषण की ही घुंटी पिलानी चाहिए। अब सत्ता की राजनीति में यह अनुशासित पार्टी दौड़ लगा रही है। इसलिए वह सब कुछ जायज है जो चुनाव में लाभ पहुंचा सके। आज ऐसे ही एक वाक्या का गवाह बना है धनबाद।

 

देखें वीडियो-

 

 

धनबाद जिला भाजपा कार्यालय में आज बहुत ही गर्म जोशी के साथ मैनेजर राय को विधिवत फूल माला पहनाकर पार्टी में शामिल कराया गया। मौके पर पार्टी के जिलाध्यक्ष का होना लाजिमी था। साथ में इस क्षण के गवाह बने झारखण्ड प्रदेश प्रशिक्षण प्रमुख गणेश मिश्रा। प्रशिक्षण प्रमुख गणेश मिश्रा जी ने समाज सेवी मैनेजर राय के संदर्भ में दो शब्द कहते हुए कहा, ‘श्री राय भाजपा के पुराने समर्थक एवम वोटर हैं। वह पार्टी में शामिल होना चाहते थे इसलिए आज उन्हें विधिवत पार्टी में शामिल कर लिया गया।’ जिलाध्यक्ष ने भी कहा- ‘मैनेजर राय के पार्टी में शामिल होने से पार्टी को और अधिक मजबूती मिलेगी।’ वहीं समाजसेवी मैनेजर राय ने कहा कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और रघुवर दास से प्रभावित होकर उन्होंने भाजपा का दामन थामा है।

 

 

 

 

आखिर इंसान तो इंसान ही न है। यह खबर तेजी से फैली कि मैनेजर राय भाजपा में शामिल हो गए। लोगों के जेहन में बराकर, कुल्टी, मैथन, निरसा क्षेत्र के उस मैनेजर राय की याद ताजा हो गयी, जिसे अवैध कोयला कारोबार का सरताज कहा जाता है। मैथन से वाराणसी कोल डंप तक जिसकी तूती बोलती रही है। एक जमाने में डिस्को पेपर जगत का वह सरताज कहा जाता रहा है। पुलिस की फाइलों में भी यदा कदा उनका नाम दर्ज होता रहा है। हो सकता है बाद में अनुसन्धान के दौरान उन्हें क्लीन चिट भी मिल गया हो।

 

 

 

जबकि भाजपा के नेता पार्टी में शामिल होने वाले मैनेजर राय को समाज सेवी और उद्योगपति बता रहे है। इस अनुशासित, सैद्धांतिक पार्टी के नेता गलत थोड़ी बोलेंगे। फिर गणेश मिश्रा जी की छवि एकदम अलग है। शांत, गम्भीर नेचर है इनका। तब फिर जनता को कन्फ्यूज्ड नही होना चाहिए।

 

 

 

 

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