झरिया: विपक्ष की जरूरत नहीं, सवाल तो जनता की आवाज बनी

AJ डेस्क: कोयलांचल की झरिया सीट रोमांचक चुनाव के लिए जाना ही जाता रहा है। इस बार सीन थोड़ा बदला हुआ है। एक राष्ट्रीय पार्टी की प्रत्याशी पर उसी पार्टी के एक कद्दावर नेता ने सवालों की बौछार कर विपक्षी का राह आसान कर दिया है। खैर, किसे नफा-नुकसान होगा, यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन नेता द्वारा उठाए गए सवाल अब जनता की आवाज बन चुकी है। समर्थक या विरोधी चौक चौराहे पर चर्चा कर रहे हैं और कह रहे हैं- लाख टके की बात पूछी गयी है।

 

इस प्रत्याशी के चुनाव प्रचार रथ के पहिया में इन सवालों ने तो बेड़ी लगाने का काम कर दिया है। बाजार के चौराहों पर लोग चर्चा कर रहे है कि नेता ने सवाल तो दमदार उठाया है। उक्त प्रत्याशी की यदि जीत हो गयी तो बाजार डिस्टर्व हो जाएगा। व्यापारी तबाह-परेशान हो जाएंगे। और यह सब प्रत्याशी के कारण नही बल्कि उनके खासम खास लोगों के कारण होगा। “अनल ज्योति” के हाथ एक वीडियो और ऑडियो क्लिप लगा है। इसकी चर्चा यहां इसलिए की जा रही है कि इस नेता के सवाल और वीडियो एवम ऑडियो क्लिप बहुत हद तक एक दूसरे को स्पोट कर रहे है। अनल ज्योति इसपे अभी विस्तृत काम कर रहा है। उसके बाद ही पाठकों तक यह पहुंचेगा। अब देखा जाए एक ही पार्टी के दो दिग्गज आमने सामने हैं। पूछे गए सवाल का उत्तर मिलता भी है या वह जनता के जेहन में कौंधता रह जाएगा।

 

 

अंततः “दादा” तीर की सवारी कर ही बैठे

कमल ने टिकट नही दिया, दादा नाराज हो गए। दादा पुराने परिचित के दरबार में गए और तीर के हो गए तो इस पार्टी के स्थानीय नेता नाराज हो गए। कोई तो आप भी हो गया। अब भला आप ही बताएं, दादा अपनी सोचें कि दूसरों की चिंता करें। नाराज होने वाले नेताओं को भी पेशेंस रखना चाहिए कि नहीं। चुनाव बाद एक ही पार्टी, एक ही क्षेत्र के अब तो दो दिग्गज काले हीरे की लूट में लगेंगे। पहले तो दोनों अपनी अपनी पार्टी के सत्ता में आने पर खुले हाथ लूट मचाए थे। अब तो जब भी मौका मिलेगा, दोनों को साथ ही मिलेगा। तब होगी असली भिड़ंत। इसे देखने के लिए थोड़ा सब्र रखना होगा।

 

 

यार “भतीजा” परेशान किए हुए है—-

चाचा खास चर्चा में थे नहीं। उनकी उम्र को देख भी सभी निश्चिन्त थे कि सीनियर सिटीजन टिकट के रेस में नही होंगे लेकिन यह क्या चाचा ने सबको चौका दिया। लेकिन चाचा को भतीजा चौकाये हुए है। भतीजा झटका पर झटका दिए जा रहा है। चाचा जिस मुहल्ले को अपना गढ़ मानते हैं, वहां भतीजा विकास के नई कहानी लिखने पर आतुर है। आशा के विपरीत उस मुहल्ले में भतीजा जन सम्पर्क भी बढ़ाए हुए है। शिलान्यास और उद्घाटन करते समय भतीजा वहां के वोटरों को याद भी दिला जाता है कि आपलोग वर्षो से वोट किसे दिए और आपका काम कौन कर रहा है। अरे भतीजा को चाचा के उम्र का ख्याल रखना चाहिए कि नहीं।

 

 

 

 

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