हाड़ कपाती ठंड में न तो “अलाव” का इंतजाम और न ही “कम्बल वितरण”, गरीबों पर दोहरी मार

AJ डेस्क: किसी घटना या दुर्घटना में जान-माल के नुकसान की बात तो आप अकसर ही सुनते होंगे, लेकिन क्या कभी शांतिपूर्ण चुनाव के बावजूद जान और माल के नुक्सान की बात आपने सुनी है। नहीं न। लेकिन झारखण्ड के धनबाद में चौथे चरण में शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए मतदान के बाद इसकी पूरी संभावना बन रही है कि इंसान की जान भी जाए और माल का नुक्सान भी हो। कैसे? ये हम आपकों अपने दो अलग-अलग रिपोर्ट के जरिये बताएंगे।

 

 

इस रिपोर्ट में हम आपकों बताने जा रहे है कि कैसे झारखण्ड विधानसभा चुनाव 2019 के कारण धनबाद कोयलांचल में मौत की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है? दरअसल कोयलांचल धनबाद में हिम रूपी पूस के महीने ने दस्तक दे दिया है। कल यानि बुधवार से ही हाड़ कपाने वाली ठंड भी शुरू हो चुकी है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण कोयलांचल में बहती बर्फीली हवाओं ने लोगों को किसी हिल स्टेशन का एहसास करा दिया है। पारा अचानक लुढ़क कर न्यूनतम तापमान 8 डिग्री पर आ गया है। जिससे रात तो छोड़िए दिन में भी लोगों का जीना मुहाल हो गया है। वहीं मौसम वैज्ञानिकों कि माने तो आने वाले कुछ दिनों में ठंड और भी इजाफा हो सकता हैं।

 

 

 

 

जिसके बाद जिला प्रशासन ने बढ़ते ठंड को देखते हुए तत्काल अपने प्रभाव से निर्देश जारी कर जिला के तमाम सरकारी और गैरसरकारी स्कूलों को आदेश दिया है कि सभी स्कूल सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक ही चालू रहेंगे। जिससे स्कूली बच्चों को इस ठण्ड से थोड़ी राहत जरूर मिली है। लेकिन उनका क्या? जो अपनी रात खुले आसमान के नीचे टिमटिमाते तारों को देखते हुए बिताते हैं। न तो जिला प्रशासन ने अबतक उनके लिए कही भी अलाव की व्यवस्था की है और न ही हर बार की तरह किसी राजनीतिक या सामाजिक पार्टियों ने उनके बीच कंबल ही बंटवाया है।

 

 

 

 

इसका कारण कुछ और नहीं, बल्कि जिला में अभी-अभी संपन्न हुआ चुनाव है। दरअसल हमारी जिला प्रशासन मतदान में इतनी व्यस्त हो चुकी थी की उनका ध्यान शायद इस ओर गया ही नहीं। और अभी फिलहाल हमारी जिला प्रशासन कुछ समय तक और व्यस्त रहने वाली है। क्योंकि अभी मतगणना बाकी है। अब यदि हम कंबल वितरण की बात करें तो यदि रिक्शा, ठेला, खोमचा और भीख मांग कर सड़क किनारे अपना गुजर बसर करने वाले इन गरीब मतदाताओं के बीच उनके नेताजी द्वारा अब तक कंबल आदि नहीं बंटवाए जाने के पीछे भी चुनाव ही है।

 

 

 

 

दरअसल झारखण्ड में चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही यहाँ आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गया था। जो अबतक जारी है। ऐसे में नेताजी द्वारा की जाने वाली परोपकार के कार्य भी उन्हें आदर्श आचार संहिता के उलंघन के मामले में कोर्ट के चक्कर लगवा सकता है। वैसे भी चुनाव में नेताजी के पास इतना समय ही कहा था कि वो अपने इन कुछ परसेंट गरीब और ठण्ड से ठिठुरते मतदाताओं के बारे में सोंच सके।

 

 

हर वर्ष जिला प्रशासन के द्वारा शहर के कई चौक-चौराहों पर अलाव की वयावस्था और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा कंबल के वितरण के बावजूद जिला में ठंड से मौत की एक-दो मामले सामने आ ही जाया करते थे। वहीं इस बार न तो अब तक जिला प्रशासन ने कही अलाव ही जलाया है और न ही किसी ने जरूरतमंदों को कंबल ही ओढ़ाया है। जबकि ठण्ड मानों इस बार कई वर्षों के रिकार्ड को तोड़ने का मन बना चुकी है। ऐसे में ठण्ड से मौत की खबर अगर सामने आती है तो इसपे कोई आश्चर्य करने जैसी बात नहीं होगी।

 

 

 

 

 

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