जनोपयोगी योजना: गटर और नाले की पानी घरों तक पहुंचेगी ?

AJ डेस्क: धनबाद में लाखों-करोड़ों रूपये खर्च कर एक योजना तैयार की जा रही है। कोयलांचल वासियों को नाले और गटर का पानी पिलाने की योजना। चौंक गए। चौकिए मत। हम सही कह रहे है। आपकें और हमारे लिए भले ही यह चौकाने वाली बात होगी, लेकिन सरकार के नुमाइंदों के लिए तो यह विकास योजना है। हमारे और आपकें भविष्य को ध्यान में रख कर बनाई गई विकास योजना।

 

 

पहले हम आपकों उस विकास योजना का दृश्य दिखाते हैं। जिसपर हमारे लिए हमारी सरकार लाखों-करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा रही है।

 

 

 

यह दृश्य धनबाद के स्टील गेट के समीप का है। यहाँ सड़क के किनारे कई किलोमीटर लम्बी-चौड़ी नाले या यूँ कहे की गटर का निर्माण हो रहा है। काफी भब्य तरीके से इस नाले का निर्माण करने वाली कंपनी दिन-रात इसपर पूरे प्लानिंग के तहत काम करने में जुटी है। लेकिन इस नाले पर यदि आप गौर फरमाएं, तो आपकों वो बात समझ में जाएगी जो हम आपकों इसके पहले बता रहे थे। जी हां, यह नाला पिने की पानी सप्लाई करने वाली पाइप लाइन के ठीक ऊपर बन रहा है। पीएचईडी द्वारा लगाए गए इस पाइप लाइन से ही शहर वासियों को जीवन दायनी पीने योग्य जल हमारे घर तक पहुँचता है। यदि कुछ समय बाद इस पाइप लाइन में कही भी लीकेज हुआ जो होना ही है, तो फिर हमारे और आपे घरों तक इन पाइप लाइनों से जीवन दायनी जल नहीं, बल्कि साक्षात् यमराज स्वरूप नाले का पानी ही पहुचेगा।

 

 

 

स्थानीय लोग सरकार की इस भब्य और कल्याणकारी योजना से खुस होने की जगह भयभीत है। दरअसल उन्हें भी इस बात का अंदाजा हो चला है कि अब तक पीएचईडी की जिस पाइप लाइन से जीवन स्वरूप शीतल पेय जल आया करता था, अब उन्ही पाइप लाइनों से मौत स्वरूप नाले का पानी वो भी भारी मात्रा में आने वाला है।

 

 

 

लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि सरकार की इतनी बड़ी योजना जो जिला के आलाधिकारियों के द्वारा ही तैयार की गई है, उस योजना की भनक तक हमारे पीएचईडी विभाग के अधिकारियों को नहीं है। इतनी बड़ी समस्या पर उनकी घिसी पिटी प्रतिक्रिया से आश्चर्य होता है। दरअसल जब हम पीएचईडी में कार्यपालक अभियंता हरेन्द्र कुमार मिश्रा जी से मिले और इस समस्या पर उनसे पूछा तो उन्होंने कहा, आपकें माध्यम से हमें इस बात की जानकारी हुई है। कल ही जाँच करने के लिए अधिकारियों को भेजा जाएगा। जाँच में गलत पाए जाने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।’

 

 

पीने के पानी के पाइप लाइन के ऊपर नाला तो बन रहा है और नाले का कार्य भी काफी हद तक पूरा हो चला है। अब पीएचईडी को इसकी जानकारी हुई है और उन्होंने कार्रवाई का आदेश दिया है। तो क्या अब इन नालों को तोड़ कर पुनः फिर एक नए प्लान के तहत अलग से नाला तैयार किया जाएगा। यदि ऐसा है तो फिर इस दौरान होने वाले सरकारी पैसों के नुकसान का क्या? उसका जिम्मेवार कौन है? आखिर इस विकास योजना का खाका तैयार करते वक्त उन अधिकारियों ने इसपर ध्यान क्यों नहीं दिया? आखिर इन सवालों का जवाब कौन देगा?

 

 

 

 

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