DC साहब और SSP साहब कृप्या ध्यान दें, सख्ती के नाम पर कोई सभ्रांत बेइज्जत न हो

AJ डेस्क: कोरोना वायरस के खिलाफ छिड़ी जंग में देश “लॉक डाउन- 0.2” के दौर से गुजर रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग के माध्यम से कोरोना का चेन तोडना ही शायद मुख्य उद्देश्य भी है। इसी के लिए हर आम व खास लॉक डाउन की अवधि बढ़ाने के पक्ष में भी थे। लेकिन इस अवधि में आम आवाम को जरूरत की सामान भी मिले, यह भी सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। DC साहब और SSP साहब आप दोनों के कंधे पर बड़ी जिम्मेवारी है। आप सरायढेला पुलिस पर पैनी नजर नही रखेंगे तो लॉक डाउन में कोई आपात सेवा ठप्प हो जाएगा और कोई सभ्रांत व्यक्ति उसी पुलिस के हाथों जलील हो जाएगा, जिस पुलिस को सभी सर आँखों पर चढ़ाए हुए है और सही में पुलिस आज कोरोना योद्धा के रूप में मोर्चा भी सम्भाले हुए है।

 

 

पहली घटना-

सरायढेला थाना का गोल बिल्डिंग चेक पोस्ट।मंगलवार की सन्ध्या बेला।आने जाने वालों की चेकिंग चल रही थी।इस बीच जिला प्रशासन द्वारा निर्गत पास लेकर एक आदमी वहां पहुंचता है।उनके द्वारा ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मी को पास दिखाया जाता है।पास पर एक स्लोगन लिखा हुआ है–

को–कोई
रो–रोड पर
ना–ना निकले

बस, अब क्या था सिपाही जी के हाथ बड़ा हथियार लग गया। सिपाही जी डपट कर बोला पास पर जब यह लिखा है तो तुम सड़क पर कैसे निकल गए। तुम वर्दी में क्यों नही हो।वही बगल में खड़े दारोगा जी दूसरी ओर झांक रहे थे। पास वाला व्यक्ति बगैर गलती के क्षमा मांग वहां से किसी तरह भागने में सफल हो पाता है।

 

 

दूसरी घटना-

यह मामला आज सुबह 8 बजे, सरायढेला के स्टील गेट चेकपोस्ट का है। सरायढेला स्थित महाबीर गैस एजेंसी के प्रोप्राइटर देव नारायण महतो आज सरायढेला पुलिस के हत्थे चढ़ गए। श्री महतो को जितना अपमानित होना था, हुए। आधा घण्टा थाना में भी बैठा लिया गया। इस मामले से नाराज होकर कर्मचारियों ने गैस एजेंसी का कामकाज ठप्प कर दिया। बात ऊपर तक गयी, तब जाकर 70 वर्षीय देव नारायण महतो पुलिस कस्टडी से बाहर निकल पाए। अब घटना-

 

 

महाबीर गैस एजेंसी का ऑफिस सरायढेला में और गोदाम आमा घाटा में है। एजेंसी के प्रोप्राइटर श्री महतो रोज गोदाम जाते हैं और उसके बाद वह ऑफिस आते हैं। रोज की भांति आज भी श्री महतो आमाघाटा गोदाम से होकर ऑफिस लौट रहे थे। स्टील गेट चेक पोस्ट पर उनकी गाड़ी को रोक दिया गया। गाड़ी के सामने वाले शीशा पर आवश्यक सेवा का कागज भी लगा हुआ था। श्री महतो ने अपना परिचय देते हुए गोदाम और ऑफिस तक की भौगोलिक जानकारी दे दी। लेकिन उनकी कोई नही सुना, एजेंसी का लाइसेंस कैंसिल कराने से लेकर और भी अभद्र भाषा तक उनको सुना दिया गया। इसके बाद श्री महतो की गाड़ी में एक सिपाही को बैठा उन्हें थाना ले जाने का फरमान सुनाया गया। श्री महतो पुलिस के देख रेख में थाना पहुंच गए और आधा घण्टा वही रह गए। इस बीच उन्होंने अपने मैनेजर को घटना की जानकारी देते हुए काम शुरू करने को कहा लेकिन एजेंसी के कर्मचारियों ने गैस सिलेंडर वितरण का काम ही ठप्प कर दिया। आधा घण्टा के बाद किसी वरीय अधिकारी के हस्तक्षेप किये जाने के बाद श्री महतो थाना से आजाद हो पाए।

 

 

 

 

लॉक डाउन को पूर्णतः सफल बनाने के लिए पुलिस की सख्ती भी जरूरी है। महामारी के इस दौर में पुलिस और प्रशासन की जिम्मेवारी भी बढ़ी हुई है। बेवजह सड़कों पर घुमने वालों को निःसन्देह सजा भी मिलनी चाहिए। लेकिन ड्यूटी पर तैनात अधिकारियो को खुद तय करना होगा, उन्हें खुद परखना होगा कि कौन सही है और कौन गलत। यह नही कि एक ही डंडा से सभी को हांक दें। देश भर में क्या धनबाद पुलिस की भी कम प्रशंसा हो रही है क्या। प्रशंसा यूँ ही थोड़े हो रही है लेकिन सख्ती बरतने, बढ़ाने के निर्देश पाने के बाद कनीय पुलिस अधिकारी अति उत्साह में कुछ भटक जा रहे हैं जो छवि पर असर डालेगा।

 

 

 

 

 

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