TSF ने 35 गांव में 508 किचन गार्डन स्थापित कराया, सुमन मरांडी बनी मॉडल

AJ डेस्क: लॉकडाउन की इस अवधि के दौरान झरिया डिवीजन के कुछ युवा सस्टेनेबल समाधान को फिर से परिभाषित कर रहे हैं। धनबाद में सिजुआ इलाके के भेलाटांड की रहने वाली 21 वर्षीय सुमन मरांडी अपने गांव में एक लोकप्रिय चेहरा बन गई हैं। जबकि उसके समुदाय के अधिकांश लोगों को कोरोना वायरस महामारी के दौरान अपने भोजन के लिए दैनिक सामाग्रियां हासिल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, तो दूसरी ओर, उसका किचन गार्डन और अधिक बहुमूल्य हो गया है।

 

 

सुमन पिछले छह महीनों से अपने किचन गार्डन में बड़े किस्मों की सब्जियां उगा रही हैं, जो इस लॉकडाउन अवधि के दौरान उनके पांच सदस्यीय परिवार के लिए वरदान के रूप में सामने आई हैं। वह कहती हैं, ‘मुझे सब्जियां खरीदने के लिए बाजार जाने की चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मेरे बगीचे की उपज मेरे परिवार के लिए पर्याप्त है।’

 

 

सुमन ने बताया, ‘मेरे पड़ोसियों को सब्जियां लाने के लिए बाजार जाने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता था, लेकिन हमें काफी राहत थी। जब उनका ध्यान इस ओर गया, तो वे अपने किचन गार्डेन की स्थापना में मदद मांगने मेरे पास आए। हालांकि, कुछ अच्छा आरंभ करने के लिए कभी देर नहीं होती, लेकिन उनके किचन गार्डेन का परिणाम आने में कुछ समय लगेगा।’

 

 

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार, एक वयस्क व्यक्ति के दैनिक आहार में 300 ग्राम सब्जियां होनी चाहिए। लेकिन ऐसे अभूतपूर्व समय के दौरान कम खरीद क्षमता के कारण, हर कोई अपने आहार में पौष्टिक भोजन शामिल नहीं कर पाता है। सुमन की तरह, धनबाद जिले के कई अन्य घरों को भी किचन गार्डन से फायदा हुआ है। लॉकडाउन के दौरान यह न केवल घर के लोगों को ताजे भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करता है, बल्कि विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन कर एक स्वस्थ आहार भी सुनिश्चित करता है, क्योंकि इनमें पर्याप्त मात्रा में आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।

 

 

टाटा स्टील फाउंडेशन ने अपने परिचालन क्षेत्रों के 35 गांवों में 508 ऐसे किचन गार्डेन स्थापित करने की सुविधा प्रदान की है। यह देखा गया है कि इनमें से ज्यादातर लोग लॉकडाउन के दौरान अपने दैनिक आहार के लिए पूरी तरह से इन पोषण उद्यान पर निर्भर हैं। आमतौर पर, यहाँ के स्थानीय समुदाय अपने घर के पिछवाड़े में एक किस्म की सब्जी उगाते हैं और यह ज्यादातर बैंगन या प्याज होता है। पोषण उद्यान की अवधारणा को शुरू करने के बाद, उन्होंने 17 प्रकार की सब्जियों को उगाना और उपभोग करना शुरू कर दिया है, जिसमें अन्य के अलावा भिंडी, पत्तेदार सब्जियां, कद्दू, टमाटर और मूली शामिल हैं।

 

 

राजेश कुमार, यूनिट हेड, टाटा स्टील के सीएसआर डिवीजन जमदोबा में कहते हैं, ‘इन पोषक उद्यानों ने भोजन में प्रोटीन, विटामिन और फाइबर युक्त सब्जियों को शामिल करने के साथ आहार की आदतों में बदलाव लाकर आदिवासी समुदायों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमारी टीम के सदस्य नियमित रूप से किसानों के संपर्क में रहते हैं और उन्हें आवश्यक जानकारी प्रदान करते हैं। इसके अलावा, हम उन लोगों के बीच इस अवधारणा को लोकप्रिय बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्होंने अभी तक इस अवधारणा को नहीं अपनाया है।’

 

 

 

 

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