बायोकॉन पेश करेगी कोविड-19 के मरीजों के लिए दवा, इमरजेंसी केस में होगा इस्तेमाल

AJ डेस्क: बेंगलुरु की प्रमुख जैव प्रौद्योगिकी बायोकॉन लिमिटेड कंपनी के द्वारा तैयार की गई Itolizumab drug (दवाई) को कोविड मरीजों को इमरजेंसी के हालात में दिए जाने की मंजूरी दे दी गई है। कंपनी ने सोमवार को इस बात का खुलासा करते हुए कहा कि 30 मरीजों के उपर रैंडम क्लिनिकल ट्रायल किए जाने के बाद इसका फैसला लिया गया।

 

 

इस दवाई की कीमत लगभग 8,000 प्रति शीशी होगी। कंपनी ने कहा है कि उसे कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए भारत में आपातकालीन उपयोग (इमरजेंसी यूज) के लिए इटोलिज़ुमाब इंजेक्शन (25 मिग्रा/पांच मिली लीटर) के बिक्री की भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से मंजूरी प्राप्त हुई है।

 

 

बायोकॉन ने इससे पहले एक जारी सूचना में कहा था कि इटोलिज़ुमाब दुनिया का पहला स्वीकृत नोवल बायोलॉजिकल उपचार है, जिसमें कोविड​​-19 की गंभीर जटिलताओं से पीड़ित रोगियों का इलाज किया जाता है।

 

 

इमरजेंसी केस में होगा इस्तेमाल-

बायोकॉन के कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार-शॉ ने एक ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस सम्मेलन में कहा, ‘जब तक वैक्सीन नहीं आती है, तब तक हमें जीवन रक्षक दवाओं की जरूरत होती है। मुझे लगता है कि हम दुनिया भर में जो कर रहे हैं, वह यह है कि हम इस महामारी के इलाज के लिए दवाओं का पुन: उपयोग कर सकते हैं या नई दवाओं का विकास कर सकते हैं।’

 

 

उन्होंने कहा कि भले ही हमें इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में कोई टीका मिल जाए, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि दोबारा संक्रमण नहीं होगा, इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि जिस तरह से हम इसके काम करने की उम्मीद कर रहे हैं, यह उसी तरह से काम करेगा। इसलिए हमें तैयार रहने की जरुरत है।

 

 

इन अस्पतालों में हुआ ट्रायल-

कंपनी के मुताबिक इस थेरेपी के फुल कोर्स की कीमत एक मरीज पर 32,000 रुपए होगी। कंपनी ने बताया कि इस डोज के बाद मरीजों के बीच मोरटैलिटी रेट (मृत्यु दर) भी कम हुई। जिन 30 मरीजों के उपर ट्रायल किया गया उनमें से 20 मरीजों के हालत में काफी सुधार देखा गया साथ ही उनके लक्षणों में भी कमी देखी गई। कंपनी के वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक इस दवाई का क्लिनिकल ट्रायल मई माह में शुरू हुआ था। यह ट्रायल एम्स और लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में किया गया था। इसके अलावा केईएम और बीवायएल नायर अस्पताल मुंबई में भी किया गया था।

 

 

बायोकॉन के चेयरपर्सन किरण शॉ के मुताबिक जब 20 मरीजों के ठीक होने की बात अलग-अलग अस्पताल के डॉक्टरों ने सुनी तो उन्होंने भी इस दवाई का इस्तेमाल अपने मरीजों पर करने का फैसला किया। इसके बाद से अब तक महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली मेंकरीब 150 मरीजों की कोविड से जान बचाई जा चुकी है। एलएनजेपी अस्पताल के डॉक्टरों ने न्यूज 18 से बताया कि इश दवाई का डोज देने के बाद कोविड के मरीजों में गजब का सुधार देखा गया और डेथ रेट भी कम हुई।

 

 

 

 

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