कांग्रेस की ‘कूटनीति’, नीतीश को महागठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया रणविजय ने

AJ डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम से एक तरफ जहां एनडीए गदगद नजर आ रही है तो वहीं महागठबंधन के खेमे में उदासी छाई हुई है। एग्जिट पोल के बाद महागठबंधन के नेता बिहार में तेजस्वी की अगुवाई में सरकार बनाने का ख्वाब देख रहे थे लेकिन चुनाव परिणामों ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मंगलवार का दिन एनडीए के लिए शुभ घड़ी लेकर आया और बिहार में एक बार एनडीए की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया।

 

 

बीजेपी के इस प्रदर्शन की बदौलत बिहार में एक बार फिर नीतीश की अगुवाई में सरकार बनने जा रही है। इसी बीच कांग्रेसी ने दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने बड़ा दांव खेलते हुए नीतीश कुमार को महागठबंधन में शामिल होने का न्यौता दे दिया। उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से एक के बाद एक बिहार की राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर ट्वीट किए।

 

 

 

उन्होंने लिखा कि बिहार चुनावों में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन को मिली सफलता के लिए में बधाई देता हूँ। एक बार फिर ओवैसी जी की MIM ने चुनाव लड़ कर भाजपा को अंदरूनी तौर पर मदद कर दी। देखना है वे बिहार में भाजपा व जदयू की सरकार बनाने में NDA का सहयोग करेंगे या महागठबंधन का।

 

 

महागठबंधन में शामिल होने का साथ ही केंद्र की राजनीति में उतरने का न्यौता देते हुए दिग्जिविजय सिंह ने कहा कि नीतीश जी, लालू जी ने आपके साथ संघर्ष किया है आंदोलनों मे जेल गए है भाजपा/संघ की विचारधारा को छोड़ कर तेजस्वी को आशीर्वाद दे दीजिए। इस “अमरबेल” रूपी भाजपा/संघ को बिहार में मत पनपाओ। नीतीश जी, बिहार आपके लिए छोटा हो गया है, आप भारत की राजनीति में आ जाएँ। सभी समाजवादी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा में विश्वास रखने वाले लोगों को एकमत करने में मदद करते हुए संघ की अंग्रेजों के द्वारा पनपाई “फूट डालो और राज करो” की नीति ना पनपने दें। विचार ज़रूर करें।

 

 

भाजपा पर बड़ा आरोप लगाते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि भाजपा ने अपनी कूटनीति से नीतीश का क़द छोटा कर दिया व रामविलास पासवान जी की विरासत को समाप्त कर दिया। सन 67 से लेकर आज तक जनसंघ/भाजपा ने हर गठबंधन सरकारों में अपना क़द बढ़ाया है और सभी समाजवादी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले राजनीतिक संघटनों को कमजोर किया है। मुझे इस बात का दुख है भारत की आजादी के बाद के राजनीतिक इतिहास में राजनेताओं की अपनी महत्वाकांक्षाओं के कारण विचारधारा गौण हो जाती रही है। कांग्रेस ही एकमात्र दल है जिसने संघ की विचारधारा के साथ ना कभी समझौता किया और ना ही जनसंघ/भाजपा के साथ मिल कर कभी सरकार बनाई।

 

 

उन्होंने आगे कहा कि आज देश में एकमात्र नेता राहुल गांधी हैं जो विचारधारा की लड़ाई लड़ रहे हैं। NDA के सहयोगी दलों को समझना चाहिए राजनीति विचारधारा की होती है। जो भी व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षा के कारण विचारधारा को छोड़कर अपने स्वार्थ के लिए समझौता करता है वह अधिक समय तक राजनीति में जिंदा नहीं रहता।

 

 

 

 

‘अनल ज्योति’ के फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए अभी इस लिंक पर क्लिक करके लाइक👍 का बटन दबाए…

https://www.facebook.com/analjyoti.in/?ti=as

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Article पसंद आया तो इसे अभी शेयर करें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »