राजद कार्यालय में जगदानन्द पर भड़के तेज प्रताप यादव, लगाए गम्भीर आरोप

AJ डेस्क: राजद पार्टी कार्यालय में तेजप्रताप यादव प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर भड़क गए। उन्होंने कहा कि जगदानंद सिंह पार्टी को बर्बाद कर रहे हैं, उनकी वजह से ही पिता लालू प्रसाद बीमार हैं। राजद सुप्रीमो के बड़े बेटे तेजप्रताप ने यह भी कहा कि जगदानंद सिंह मेरे स्वागत के लिए भी बाहर नहीं निकले हैं। वो तो अभी तक आजादी पत्र भी नहीं लिखे हैं, कई नेताओं को भी उन्होंने लिखने से मना किया है।

 

 

 

कार्यकर्ताओं से नहीं करते हैं मुलाकात-

तेजप्रताप यादव ने कहा कि कार्यकर्ताओं को प्रदेश अध्यक्ष से मिलने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। वे आवेदन देते रहते हैं, लेकिन जगदानंद सिंह मुलाकात नहीं करते हैं। पार्टी में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्व तो स्वागत करने के लिए भी बाहर आते थे, कार्यकर्ताओं से भी आसानी से मुलाकात करते थे। तेज प्रताप यादव ने यहां तक कह दिया कि राजद को ऐसी हालत में पहुंचाने वाले जगदानंद सिंह जैसे नेता ही हैं। राजद में जगदानंद सिंह का रूल नहीं चलेगा, यहां अप्वाइंटमेंट कल्चर नहीं चलने देंगे। यह गरीबों की पार्टी है, कोई भी कार्यकर्ता आसानी से प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात कर सकता है।

 

 

 

सच बोलने से कोई नहीं रोक सकता-

तेजप्रताप यादव के साथ राजद के कई कार्यकर्ता भी पार्टी कार्यालय में मौजूद थे। मीडिया के सामने एक कार्यकर्ता ने कहा कि 1989 से पार्टी के साथ हैं, कई बार पार्टी दफ्तर पहुंचे। लेकिन हर बार मुलाकात के लिए स्लीप मांगी जाती है। इतने सालों तक पार्टी में रहने के बाद प्रदेश अध्यक्ष से मिलने के लिए स्लीप मांगी जाएगी। लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने यह भी कहा कि जगदानंद सिंह ने अभी तक आजादी पत्र नहीं लिखा है, इससे उनकी मंशा साफ होती है। पार्टी के कई नेताओं को भी उन्होंने आजादी पत्र नहीं लिखने दिया। मुझे सच बोलने से कोई रोक नहीं सकता। किसी से डरता नहीं हूं।

 

 

क्या है आजादी पत्र-

लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव और बेटी रोहिणी ने पोस्टकार्ड पत्र लिखने का अभियान शुरू किया है। इसका नाम उन्होंने आजादी पत्र दिया है। पिता लालू प्रसाद की रिहाई के लिए राष्ट्रपति को आजादी पत्र भेजा जा रहा है। गुरुवार की शाम तेजप्रताप यादव 50 हजार पोस्टकार्ड लेकर जीपीओ पहुंचे थे। यहां से उस पर मुहर लगावाकर उन्होंने राष्ट्रपति को भेजा।

 

 

 

 

 

 

 

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