साथी हाथ बंटाना: जिसे अपना कंधा नही देते,उन शवों का अपनों की तरह कर रहे यह युवा दाह संस्कार

AJ डेस्क: भारत में रिश्तों की सबसे ज्यादा अहमियत है। संयुक्त परिवार के चलन की वजह से अपना देश दुनिया में एक अलग पहचान बनाए हुए है। दुनियाभर के लोग मानते हैं कि धन-दौलत चाहे किसी देश के पास जो भी हो, लेकिन रिश्तों की तासीर समझने और उसे निभाने में भारतीयों का कोई जोड़ नहीं। वैश्विक महामारी के इस दौर में कोरोना वायरस का भय इतना अधिक है कि पारिवारिक रिश्तों के धागे कमजोर होते हुए दिख रहे हैं। आलम यह है कि बेटा-बेटी मां-बाप का अंतिम संस्कार तक करने को तैयार नहीं हैं। वहीं कोयलांचल धनबाद में कुछ ऐसे युवाओं की भी टोली है जो दूसरों के शव को अपना मान एक सगे की तरह उनका अंतिम संस्कार करने में जुटे हैं।

 

 

कोयलांचल धनबाद में भी कोरोना रोज कहर बरपा रहा है। हर रोज कोरोना संक्रमण से मरने वालों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में लोगों के अंदर कोरोना का जबरदस्त खौफ घर कर गया है। ऐसे में शहर के कुछ युवा उन परिवारों की मदद कर रहे हैं जिनके किसी सदस्‍य की मृत्‍यु कोरोना से हुई है और उन्‍हें अंत्‍येष्टि करने में समस्‍या आ रही है। कोरोना संक्रमण से जुड़े भय की वजह से ऐसे शव के अंतिम संस्कार के लिए न तो रिश्‍तेदार और न ही समाज के दूसरे लोग सामने आ रहे हैं। वहीं दाता का दरबार और मारवाड़ी यूथ ब्रिगेड के कुछ युवा वैसे शव को पूरे रीति रिवाजों के साथ अंत्‍येष्टि करने में जुटे हैं।

 

 

धनबाद के आरा मोड़ निवासी 75 वर्षीय मधुसूदन चक्रवर्ती का शनिवार रात निधन हो गया। वह रामनवमी से ही बीमार चल रहे थे और घर पर ही थे। वह कोरोना संदिग्ध थे। उनकी सिर्फ एक बेटी और पत्नी है। कोरोना के भय की वजह से उनके अपनो ने भी उनसे अंतिम समय में मुंह मोड़ लिया। जिस वजह से उनके अंतिम संस्कार में समस्या खड़ी हो गई। इसकी जानकारी जैसे ही ‘दाता का दरबार’ और ‘मारवाड़ी यूथ ब्रिगेड’ के उन युवाओं को मिली वैसे ही वो युवा मृतक मधुसूदन चक्रवर्ती के घर पहुंच वहाँ का सारा काम अपने हाथों में ले लिया।

 

 

उन युवाओं में अंकित राजगढ़िया, चतर्भुज कुमार, बंटी विश्वकर्मा, रवि शेखर, शाहिद अंसारी और विष्णु कुमार शामिल थे। मृतक मधुसूदन चक्रवर्ती के घर पहुंचकर युवाओं ने अंतिम संस्कार की सारी तैयारियां की। इस दौरान मारवाड़ी युथ ब्रिगेड धनबाद ने शव के अंतिम यात्रा के लिए मुक्ति वाहन भेजा और एक रिश्तेदार की तरह अंकित राजगढ़िया, चतर्भुज कुमार, बंटी विश्वकर्मा और शाहिद अंसारी ने शव का कंधा दिया। इसके बाद अंकित ओर उनके बाकी साथी सदस्यो ने मृतक का पूरे रीति रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार करवाया।

 

 

युवाओं ने कहा कि समाज में आज जरूरत है हमे खड़े होकर लोगों की मदद करने की। कोरोना ने अपनो को अपनो से दूर कर दिया है। जिनका कोई नही उनके बेटा, भाई बनकर हम अंतिम वक़्त में उनका साथ देंगे। अंकित ने बताया कि यह लम्हा उनके ओर उनके साथियों के लिए जीवन का सबसे बड़ा लम्हा है। हमे अपनी जान की परवाह नही है। हमे समाज और देश के लोगों के दुख को अपना बनाना है।

 

 

 

 

 

 

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