“मैं संगठन से नहीं-संगठन हमसे”, दशकों से धनबाद के दबंग घराने की अब नई राजनीतिक सोच!!

रिपोर्ट- अरुण कुमार तिवारी

 

AJ डेस्क: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पार्टी कार्यालय में झंडोतोलन का अवसर हो, छात्रों पर हुई लाठी चार्ज के विरोध में प्रदर्शन हो, पार्टी की जांच कमिटी धनबाद में हो, कहीं भी उपस्थिति नहीं। चिंता किस बात की। किसी राजनीतिक पार्टी के झंडा तले थोड़ी न चुनाव जीतने की मजबूरी है, दशकों से पारिवारिक गढ़ रहा है। अपने बल बूते पार्टी को सीट दे देंगे। धनबाद के दबंग घराने की नई उपज की या तो यही सोच है या उनके सलाहकार पिछली बार की तरह अब भी लुटिया डुबोने का पूरा इंतजाम कर रहे हैं।

 

 

हाल का ही वाक्या है। धनबाद समाहरणालय में छात्रों पर लाठी चार्ज हुआ था। दूसरे दिन एक पार्टी के युवा इकाई ने बंद का एलान कर दिया। फिर समाहरणालय के समक्ष हो रहे प्रदर्शन पर पुलिस ने लाठी भांज दिया। युवा इकाई के आंदोलन को बल देने के लिए पार्टी के कुछ नेता सड़क पर उतर गए थे लेकिन घराने का नेता कहीं नजर नही आया। माना जा सकता है इसके लिए पार्टी की कोई प्रतिबद्धता भी नही है।

 

 

दो विधायक और संगठन के दो पदधारी नेता मामले की जाँच करने धनबाद आते हैं। जांच कमिटी घटना स्थल से लेकर अस्पताल तक जाती है।धनबाद के वरीय नेता भी जांच कमिटी के साथ होते हैं। फिर यहां घराने का नेता गायब। फिर वही बात कही जा सकती है कि न तो पार्टी का दिशा निर्देश था और न ही कोई प्रतिबद्धता। हालांकि बाद में यह नेता जी सर्किट हाउस में जाकर जांच कमिटी से और अकेले ही अस्पताल जाकर जख्मी छात्रों से मिलते हैं।

 

 

अब यहां स्वतंत्रता दिवस की भी चर्चा हो जाए। पार्टी के जिला कार्यालय में झंडोतोलन हुआ। जिला के वरीय नेता झंडोतोलन में शामिल हुए। पार्टी कार्यालय के सबसे नजदीक घर होने के बावजूद यह नेता जी पार्टी कार्यालय में हुए झंडोतोलन में शरीक नही हुए। अब यहां उनकी प्रतिबद्धता थी कि नही। यह तो पार्टी का सविंधान ही बताएगा।

 

 

दशकों से काले हीरे की नगरी में सक्रिय राजनीति से जुड़े इस घराने को शायद किसी पार्टी के चलते अपना परिचय का मोहताज नही होना पड़ता है। अब इसका वह जो अर्थ निकालें। या उनके ऐसे सलाहकार जो पिछले चुनाव में हार के अनेक कारणों में से एक थे, वह इस बार भी नेता जी की लुटिया डुबोने पर पड़े हैं।

 

 

समय रहते नेता जी और उनके सलाहकार सम्भल जाएं तो बेहतर। पार्टी तो पार्टी है। संगठन से ऊपर कोई नही होता। नेता जी के क्षेत्र में वैसे भी कई सेंधमारी करने के लिए घात लगाए बैठे हैं। इतिहास गवाह है कि पार्टी कई दिग्गज नेताओं को पहले भी “अर्श से फर्श” पर ला चुकी है। पार्टी के सिर्फ दिग्गज नेताओं का आवभगत करने से राजनीति नही चलेगा। संगठन का हर पदाधिकारी महत्वपूर्ण होता है। यह भी ख्याल रखना होगा। वैसे भी अभी आप भी एक साधारण कार्यकर्ता ही हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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