नेशनल लोक अदालत में 29 को नियुक्ति पत्र और 9 को ऑन स्पॉट मिला मुआवजा

AJ डेस्क: नेशनल लोक अदालत संविधान की परिकल्पना को पूरी करने के दिशा में एक कदम है। उक्त बातें शनिवार को धनबाद सिविल कोर्ट में आयोजित नेशनल लोक अदालत के उद्घाटन के मौके पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह चेयरमैन डालसा राम शर्मा ने कही। इसके पूर्व सुबह 10ः30 बजे जिला विधिक सेवा प्राधिकार के चेयरमैन सह प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राम शर्मा, बीसीसीएल के डायरेक्टर पर्सनल पी भी के आर मल्लिकार्जुन राव, एसएसपी संजीव कुमार, बार अध्यक्ष अमरेंद्र सहाय ने नेशनल लोक अदालत का उद्घाटन किया।

 

 

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि लोक अदालत में महीनों कोर्ट का चक्कर लगाने और पैसे की बर्बादी से बचा जा सकता है। इससे लोगों को मानसिक शांति भी मिलती है। इसके साथ ही प्रेम और सौहार्द आपस में फिर से बन जाता है। लोगों मे प्रेम, शाति, समृद्धि और समरसता बनी रहे यही इस लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य है। उन्होने कहा की 23 नवम्बर 2013 से पूरे देश में नेशनल लोक अदालत का आयोजन हर तीन माह मे किया जा रहा है।

 

 

बार ऐसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेन्द्र कुमार सहाय ने कहा की लोक अदालत के माध्यम से व्यापक पैमाने पर मुकदमों का निष्पादन किया जा रहा है। जिसमें समय की बचत के साथ-साथ वादकारियों को विभिन्न कानूनी पचड़ों से मुक्ति मिल रही है।

 

 

लोक अदालत में तत्काल सेटल होता है मामला- निदेशक कार्मिक

बीसीसीएल के निदेशक कार्मिक पी भी के आर मल्लिकार्जुन राव ने कहा कि डालसा द्वारा किया जा रहा यह एक बहुत ही सराहनीय कार्य है। बीसीसीएल इस कार्य में हर संभव मदद कर रहा है और आगे भी करेगा। उन्होंने कहा कि लोक अदालत एक ऐसा मंच है जहां तत्काल प्रभाव में मामला सेटेल हो जाता है और विवाद आगे नहीं बढ़ पाता।

 

 

तेजी से घट रही है लंबित मामलों की संख्या- एसएसपी

एसएसपी संजीव कुमार ने कहा की इस एडीआर सिस्टम से प्री लिटिगेशन मामलों को जोड़कर बिना कोर्ट पहुंचे विवादों का निष्पादन हो सकेगा। जिससे ऐसे मामलों में पक्षकार भविष्य में भी कोर्ट न जाए। इस तरह के आयोजनों के कारण ही जिले में लंबित केसों की संख्या काफी तेजी से घटती जा रही है।

 

 

इन्हे मिली नौकरी-

जिला एवं सत्र न्यायाधीश राम शर्मा ने बताया कि आज 29 लोगों को ऑन स्पॉट नियुक्ति प्रदान किया गया। ये वो लोग है जिनके अभिभावकों की मृत्यु कार्य काल के दौरान हो गई थी। उन्हें अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी गई है। जिसमें मनोहर रत्री, भोलानाथ महतो, कमल किशोर, प्रेम कुमार, बैजनाथ कुमार, पंकज कुमार दास, दीपक कुमार महतो, सूरज कुमार चौहान, शशि कुमार, संजना मुंडा, देवांसी जैन, लवली मिश्रा, पार्वती देवी, मिट्ठू बाउरी, शैलेश कुमार सिंह, सतीश कुमार राणा, कृष्णा भूईया, जमुनी देवी, आशीष कुमार, जयंत कुमार, घनश्याम मंडल, राजेश कुमार, रूमा देवी, सद्दाम हुसैन, शंकर भूईया, महावीर धीवर, राजू हारी, अनिल मोहली।

 

 

इनके आश्रितों को मिला ऑन स्पॉट मुआवजा-

कोरोना के कारण मरने वाले 9 बीसीसीएल कर्मियों के आश्रितों को ऑन स्पॉट 15 लाख का मुआवजा का भुगतान किया गया। जिसमें अंशुमन कुमार, सतीश, रंजीत कुमार, दीनू रजवार, इफरोज अहमद, राम रूप पासवान, राजकुमार कालिंदी, मोहम्मद हुसैन अंसारी, नरेश भूईया, मोहनलाल महतो।

 

 

न्यायाधिश बेंच में कुटुंब न्यायालय के अपर प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय संजीता श्रीवास्तव, जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार पांडे, अजय कुमार सिंह, सैयद सलीम फातमी, आर के मिश्रा, राजेश कुमार सिंह, अखिलेश कुमार तिवारी, अविनाश कुमार दुबे, अखिलेश कुमार, अपर न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय संजीता श्रीवास्तव, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अर्जुन साव,अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शशि भूषण शर्मा सहित दर्जनों अधिवक्ता एवं अधिकारी मौजूद रहे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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