कोविड 19 : दो से अट्ठारह वर्ष के बच्चों को भी अब लगेगा वैक्सीन

AJ डेस्क: भारत में अब बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी। दरअसल ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने 2 से 18 साल के बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन लगाने की मंजूरी दे दी है। यह भारत बायोटेक और ICMR की तरफ से बनाया गया कोवैक्सिन (Covaxin) ही है। आइए जानते हैं कोवैक्सिन को लेकर 9 बड़ी बातें-

 

 

1. कोवैक्सिन के ट्रायल में काफी पॉजिटिव नतीजे सामने आए हैं, जिसे देखते हुए DCGI ने बच्चों को वैक्सीन लगाने की अनुमति दे दी। इस ट्रायल में बच्चों पर वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है।

 

2. बच्चों को भी व्यस्कों की तरह ही वैक्सीन की दो खुराक दी जाएगी। वर्तमान में 18 साल से ऊपर की उम्र के लोगों को भी कोवैक्सिन की दो डोज ही दी जा रही है।

 

3. DCGI द्वारा अनुमति मिलने के बाद केंद्र सरकार अब बीमार बच्चों को पहले टीका लगाने की गाइडलाइंस तैयार कर रही है। वैक्सीनेशन के पहले स्टेज में उन गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चों को वैक्सीन दी जाएगी जिसके बाद धीरे धीरे कर सभी बच्चों को वाक्सीनेट किया जा सकेगा।

 

4. दूसरी तरफ बच्चों को वैक्सीन लगने के बाद स्कूल भेजने में भी संक्रमण का डर कम रहेगा। माता-पिता बिना किसी डर या चिंता के अपने अपने बच्चों को स्कूल भेज सकेंगे।

 

5. विशषज्ञों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर अभी भी आने की संभावना बनी हुई है, ऐसे में बच्चों को वैक्सीन लगना एक बड़ी राहत होगी।

 

6. इस वैक्सीन की कीमत की बात करें तो फिलहाल केंद्र ने बच्चों के लिए आ रही कोरोना वैक्सीन की कीमत का खुलासा नहीं किया है, लेकिन कहा जा रहा है कि इसकी कीमत व्यस्कों को दी जा रही कोवैक्सिन की कीमत के बराबर ही होगी।

 

7. डीजीसीआई की मंजूरी मिलने के बाद इस अभियान की शुरूआत दो महीने बाद ही हो पाएगी। इसका कारण यह है कि अभी बड़े पैमाने पर वैक्सीन का उत्पादन करना होगा।

 

8. मंजूरी के बाद भारत उन कुछ देशों में शामिल हो गया जहां बच्चों को वैक्सीन दी जा रही है। इससे पहले यूरोपियन यूनियन ने जुलाई महीने में ही मॉडर्ना की वैक्सीन को मंजूरी दे दी थी।

 

9. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने मॉनसून सत्र के दौरान संसद में बताया था कि देश की दो कंपनियां बच्चों की वैक्सीन बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। उन्होंने जुलाई में कहा था कि जायडस कैडिला और भारत बायोटेक का नाम लिया था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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