लोक आस्था का पर्व छठ से जुड़ी दुर्लभ तस्वीर और उसका महत्व देखें

AJ डेस्क: नहायखाय के साथ सोमवार यानी कि आज से लोकआस्था का चारदिवसीय महापर्व छठ शुरू हो रहा है। इस खास मौके पर हम आपके लिए लेकर आए है मां गंगा की गोद में बसे सीताचरण मंदिर की वो दुर्लभ तस्वीर, जहां आज भी भगवान श्री राम और माता जानकी के चरण चिह्न मौजूद है।

 

 

मान्यता के मुताबिक वनवास और रावण का वध कर जब श्रीराम अयोध्या लौटे तो कुलगुरु वशिष्ट ने उन्हें मुग्दलपुरी (मुंगेर) में ऋषि मुग्दल के पास ब्रह्महत्या मुक्ति यज्ञ के लिए भेजा था। मुग्दल ऋषि ने वर्तमान कष्टहरणी गंगा घाट पर श्रीराम से ब्रह्महत्या मुक्ति यज्ञ करवाया। चूंकि महिलाएं इस यज्ञ में भाग नहीं ले सकती थी, इसलिए माता सीता को अपने आश्रम में रहने को कहा था।

 

 

 

नहाय खाय की तैयारी में जुटी महिलाएं

 

 

 

वहीं आश्रम में रहते हुए ऋषि मुग्दल के निर्देश पर माता जानकी ने अस्ताचलगामी सूर्य को पश्चिम दिशा की ओर और उदयीमान सूर्य को पूर्व दिशा में अर्घ्य दिया था। सीताचरण मंदिर के गर्भगृह में पश्चिम और पूर्व दिशा की ओर माता सीता के पैरों के निशान और सूप आदि के निशान अभी भी मौजूद हैं।

 

 

 

भगवान श्री राम और माता जानकी के चरण चिह्न

 

 

स्थानीय पंडित कौशल किशोर पाठक ने बताया कि इस मंदिर का गर्भगृह छह महीने गंगा के गर्भ में ही समाया रहता है और छह महीने बाहर होता है। मान्यता ऐसी है कि यहां मंदिर के प्रांगण में छठ व्रत करने से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। उन्होंने बताया कि आनंद रामायण के पृष्ठ संख्या 33 से 36 तक में विस्तार से वर्णन किया गया है जिसमे सीता चरण और मुंगेर के बारे में उल्लेख किया गया है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Input-Dainik bhaskar

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