“राष्ट्रीय लोक अदालत”: एक करोड़ 35 लाख रु का हुआ रिकवरी

AJ डेस्क: नालसा के निर्देश पर वर्ष 2022 के पहले नेशनल लोक अदालत में शनिवार को 11 हजार 41 विवादों का निपटारा कर कुल 1 करोड़ 35 लाख 3 हजार 600 रूपए की रिकवरी की गई। मौके पर पांच लोगों के बीच मुआवजा के 1 करोड़ 29 लाख रुपए का भुगतान भी किया गया। नेशनल लोक अदालत सुबह 10:30 बजे शुरू होकर दोपहर के 3:00 बजे तक चला। इसके पूर्व सुबह 10ः30 बजे जिला विधिक सेवा प्राधिकार के चेयरमैन सह प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राम शर्मा, फैमिली जज तौफीकुल हसन, बार अध्यक्ष अमरेंद्र सहाय, महासचिव जीतेन्द्र कुमार ने नेशनल लोक अदालत का उद्घाटन किया।

 

 

हमारा संविधान हर लोगों को सामाजीक, आर्थिक एवं सस्ता सुलभ न्याय की गारंटी देता है। नेशनल लोक अदालत संविधान के परिकल्पना को पूरी करने के दिशा में एक कदम है। उक्त बातें शनिवार को धनबाद सिविल कोर्ट में आयोजित नेशनल लोक अदालत के उद्घाटन मौके पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह चेयरमैन डालसा राम शर्मा ने कही। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा की लोक अदालत में महीनों कोर्ट का चक्कर लगाने और पैसे की बर्बादी से बचा जा सकता है। इससे लोगों को मानसिक शांति भी मिलती है। इसके साथ ही प्रेम और सौहार्द आपस में फिर से बन जाता है। लोगों मे प्रेम, शाति, समृद्धि और समरसता बनी रहे यही इस लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य है। उन्होने कहा की लोक अदालत में किसी पक्ष की हार नहीं होती बल्कि दोनों पक्ष जीतकर जाते हैं। क्योंकि इसमें विवादों का निपटारा पक्षकारों की रजामंदी से किया जाता है। उन्होंने कहा कि 23 नवम्बर 2013 से पूरे देश में नेशनल लोक अदालत का आयोजन हर तीन माह में किया जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र सहाय ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत आम आदमी के हित के लिये लगाये जाते हैं। बिना प्रशासनिक सहयोग के हम समाज तक न्याय नहीं पहुंचा सकते। उन्होंने कहा की लोक अदालत के माध्यम से व्यापक पैमाने पर मुकदमों का निष्पादन किया जा रहा है। जिसमें समय की बचत के साथ-साथ वादकारियों को विभिन्न कानूनी पचड़ों से मुक्ति मिल रही है। महासचिव जितेंद्र कुमार ने कहा कि लोक अदालत में विवादों का तत्काल निपटारा होता है। यह एक बहुत सराहनीय कार्य है। एसोसिएशन इस कार्य में हर संभव मदद कर रहा है।

 

 

नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन के लिए सिविल कोर्ट धनबाद में व्यापक इंतजाम किए गए थे। प्राधिकार के चेयरमैन सह प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राम शर्मा के निर्देश पर विवादों के निस्तारण के लिए 16 बेंच का गठन किया गया था। जिसमें न्यायिक पदाधिकारी, अधिवक्ता व विभिन्न विभाग, बैंक के अधिकारी शामिल थे।

 

 

न्यायिक पदाधिकारियों में प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय तौफीकुल हसन, अपर प्रधान न्यायाधीश फैमिली कोर्ट प्रेमलता त्रिपाठी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमेश कुमार श्रीवास्तव, स्वयंभू, राजीव आनंद ,राजकुमार मिश्रा, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी संजय कुमार सिंह, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कुलदीप, अवर न्यायाधीश राजीव त्रिपाठी, रेलवे के न्यायिक दंडाधिकारी राकेश रोशन, प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी श्वेता कुमारी, विशाल माझी, मनोज कुमार इनदरबार, शिवम चौरसिया,सफदर अली नायर ,संतोषनी मुरमुर ,निर्भय प्रकाश, पूनम कुमारी, अभिषेक श्रीवास्तव, स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन पियूष कुमार, सर्टिफिकेट ऑफिसर फागुनी राम सहित डालसा के पैनल अधिवक्ता मौजूद थे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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