दल बदल प्रकरण : बाबूलाल मामले में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

AJ डेस्क: झारखंड के भाजपा विधायक दल के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के खिलाफ JVM के विलय के मामले में दलबदल के तहत कार्रवाई की मांग पर स्पीकर न्यायाधिकरण में सोमवार को सुनवाई हुई। इस याचिका में मरांडी की , सदस्यता समाप्त करने की मांग शिकायतकर्ताओं की ओर से की गई है। स्पीकर न्यायाधिकरण ने सुनवाई के दौरान प्रिलिमनरी आब्जेक्शन को अस्वीकार कर दिया। मरांडी के अधिवक्ता की ओर से आब्जेक्शन किया गया था।

 

 

अब इस आधार पर अगली सुनवाई आरंभ होगी कि बाबूलाल मरांडी की सदस्यता बरकरार रहेगी या वे विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाएंगे। बाबूलाल मरांडी पिछला विधानसभा चुनाव में झाविमो के सिंबल पर चुनाव जीते थे। बाद में उन्होंने झाविमो का विलय भाजपा में कर दिया। इसे चुनाव आयोग की स्वीकृति मिल गई लेकिन विधानसभा ने विलय को मान्यता देने से इन्कार कर दिया।

 

 

मरांडी को पूर्व विधायक राजकुमार यादव, जेएमएम विधायक भूषण तिर्की, कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह और विधायक प्रदीप यादव एवं बंधु तिर्की ने याचिका दायर की थी। मरांडी पर दलबदल के तहत कार्रवाई करते हुए अयोग्य घोषित करने की मांग करते हुए स्पीकर न्यायाधिकरण में शिकायत दर्ज कराई है। , विवाद के कारण भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बावजूद मरांडी नेता प्रतिपक्ष घोषित नहीं किए गए। यह पद दिसंबर, 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से खाली है।

 

 

सोमवार को स्पीकर रविंद्र नाथ महतो ने इसकी सुनवाई की। अब सिर्फ इस मामले में केवल संवैधानिक बिंदुओं पर बहस होगी। इससे पहले 6 मई को भी स्पीकर ने इस मामले में सुनवाई की थी। राजकुमार यादव और भूषण तिर्की की ओर से दायर याचिका पर बहस के दौरान बाबूलाल मरांडी की ओर से दलील दी गई कि संबंधित मामला हाइकोर्ट में चल रहा है़ ऐसे में स्पीकर के न्यायाधिकरण में सुनवाई नहीं हो। यह दो संस्थाओं के टकराव का मामला न बन जाये़ इसलिए याचिका स्पीकर के कोर्ट में खारिज कर दिया जाए।

 

 

वहीं दूसरी दलील यह दी गई कि यह केस विधानसभा की नियमावली के प्रतिकूल है। 11 फरवरी 2020 को जेवीएम का बीजेपी में मर्जर हुआ था। 6 मार्च 2020 को इलेक्शन कमीशन ने मर्जर को सही करार दिया। मर्जर के 10 महीने बाद मरांडी के खिलाफ 16 दिसंबर 2020 को पहला केस फाइल किया गया था। दसवीं अनुसूची के प्रावधान 6 के तहत दलबदल के मामले में देर से किया किया गया ऑब्जेक्शन खारिज हो जाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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