जयंती पर जुटेंगे दिग्गज, वहीं किल्लत भरी जिंदगी जी रहे “भगवान बिरसा” के वंशज

AJ डेस्क: 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर उनके गांव में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति शिरकत करने वाली है। तैयारियां जोरों पर है। वहीं बिरसा मुंडा के वंशज के घर उदासी है। इनके वंशजों को न तो पीने का पानी मयस्सर है न एक अदद आशियाना।

 

 

दीवारों पर चटख रंगों से होती पेंटिंग की ये तस्वीर उलिहातू की है। वही उलिहातू जहां भगवान बिरसा मुंडा का जन्म हुआ। बिरसा मुंडा जिन्होंने मुंडा विद्रोह का नेतृत्व कर और अंग्रेजी सल्तनत के दांत खट्टे किए थे। 15 नवंबर को इस महान योद्धा की जयंती है। इसी दिन झारखंड अगल राज्य का गठन भी हुआ था। 15 नवंबर के समारोह को खास बनाने की पूरी तैयारी है। इस मौके पर देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मू भी उलिहातु आ रही हैं। बिरसा के स्मारक स्थल को खुब सजाया जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

यहीं एक दूसरी तस्वीर भी है। इस स्मारक के ठीक बगल में इस एस्बेस्टस शेड से बने कच्चे मकान में बिरसा मुंडा के वंशज रहते हैं। समारोह का चटख रंग पास हीं यहां फीका हो जाता है। सरकार ने इस परिवार के लिए एक पानी की टंकी और नल की व्यवस्था की थी पर सालों में नल ही नहीं सुखा है बिरसा के वंशज की वह उम्मीद भी सुख गई है, जो इन्होने अपने गांव और समाज के लिए आंखों में बसाया था।

 

 

हालत यह कि समारोह के बाद बचे पुराने बेकार बैनरों से बरामदे को एक कमरे की शक्ल देने की कोशिश की गई है। अपने पास की जमीन स्मारक के लिए सरकार को दान कर दी। सरकार ने मकान के लिए जमीन दी भी तो इस जिले से बाहर। अब पैसा है नहीं, आशियाना बनें तो कैसे।

 

 

बिरसा मुंडा को आदिवासी भगवान मानते हैं। झारखंड के सियासतदान भी बिरसा मुंडा के नाम से खुब सियासी गोटियां खेलते हैं। कई योजनाओं के नाम उनके ही नाम पर है, लेकिन सियासतदानों के दिल में बिरसा मुंडा के प्रति कितनी सच्ची श्रद्धा है इसका अंदाजा उनके वंशजों की हालत देख कर ही लग जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »