पारसनाथ विवाद : पारंपरिक हथियार संग आदिवासियों का महा जुटान
AJ डेस्क: झारखंड में पारसनाथ पहाड़ी को लेकर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। पहले जहां जैन समाज के लोग इसे तीर्थ क्षेत्र बनाने को लेकर आंदोलनरत रहे वहीं अब आदिवासी समाज इसे अपना मारंग बुरु पहाड़ बता इसपर अपने अधिकार के लिए आंदोलन की राह पर चल पड़ा है।
महाजुटान में जुटे चार राज्यों के आदिवासी-
पारसनाथ पहाड़ी पर आदिवासियों के अधिकार के लिए पारसनाथ बचाओ संघर्ष समिति के बैनरतले आज हुए महाजुटान कार्यक्रम में हजारों की तादाद में आदिवासी, मूलवासी मधुबन पहुंचे। ये आदिवासी हाथों में परंपरागत हथियार लिए केन्द्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। जुलूस की शक्ल में अलग अलग जगहों से आए लोग पारसनाथ पहाड़ी के नीचे मधुबन के थाना मैदान में इकट्ठा हुए। महाजुटान में शामिल संथाल आदिवासियों के नेता सिकंदर हेंब्रम का कहना है कि जैन समाज द्वारा सम्मेद शिखर माना जाने वाला पारसनाथ पहाड़ इनके देवता मारंग बुरू हैं। इस पहाड़ी पर आदिवासियों को अधिकार मिलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने मारंग बुरू (पारसनाथ) पहाड़ी पर पशु बलि का अधिकार देने की भी मांग की।
पारसनाथ की पहाड़ी तक पहुंचा हुजूम-
आज सुबह से ही कई आदिवासी संगठनों के आवाह्न पर परंपरागत हथियार और गाजे-बाजे के साथ आदिवासियों का जुटान शुरू हो गया था। रैली की शक्ल में यहां जुटे आदिवासियों ने केन्द्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का पुतला फूंका। आदिवासियों का जुलूस पारसनाथ की पहाड़ी तक भी पहुंचा, जहां इसे मुक्त कराने का संकल्प लिया गया। दोपहर बाद मधुबन के थाना मैदान में एक विशाल जनसभा हुई।
24 फरवरी को भारत बंद-
महाजुटान में हुई जनसभा में आगे के आंदोलन की रणनीति बनाई गई। वक्ताओं ने पारसनाथ को आदिवासियों का मारंग बुरू बताया और कहा कि जैन धर्म के लोग इस स्थल को आदिवासी समाज से दूर करने की साजिश कर रहे हैं। सरकार भी इसमें साथ दे रही है। अगर सरकार ने हमें इस पहाड़ी पर अधिकार नहीं दिया तो बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू से एक व्यापक आंदोलन चलाया जाएगा।
एक जुट रहे आदिवासी-
मधुबन में हुए महाजुटान में पूर्व विधायक गीताश्री उरांव, सालखन मुर्मू, जेएमएम विधायक लोबिन हेम्ब्रम, जयराम महतो समेत कई आदिवासी नेता मौजूद थे। जेएमएम विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि वक्त आ गया है हमें एकजुट होना पड़ेगा। आज झारखंड में आदिवासी मुख्यमंत्री है पर यहां आदिवासियों की नहीं सुनी जा रही है।
बंद रहा मधुबन बाजार-
आज आदिवासियों के इस आंदोलन को लेकर मधुबन बाजार पूरी तरह से बंद रहा। पुलिस की और से सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ाई गई थी। पुलिस इलाके में ड्रोन कैमरा की मदद से निगरानी रख रही थी। जैन मंदिरों के सामने भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई थी।