झारखंड में पेट्रोलियम पदार्थो का वैट 22 से घटाकर 17 प्रतिशत किया जाए: अशोक सिंह
AJ डेस्क: झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन एक बार फिर झारखंड में वैट घटाने की मांग को लेकर उठ खड़ा हुआ है। गुरुवार को संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह की अगुवाई में एक शिष्ट मंडल कॉमर्शियल टैक्स के आयुक्त को पत्र दिया।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी लंबे समय से लंबित मांग पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिसका नतीजा यह हुआ कि झारखंड में डीजल की बिक्री घट गई है और विक्रेता परेशानी झेल रहे है। पत्र में कहा गया है कि झारखंड सरकार ने 22% वैट 24 फरवरी 2015 को लगाया था। यह कार्यकाल रघुवर सरकार का था। इसके बाद से ही संगठन लगातार वैट की दर को 22% से घटाकर 17% करने की मांग कर रहा है। झारखंड के अगल-बगल राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल में वैट की दर कम है। नतीजा है कि झारखंड के बड़े-बड़े प्लेयर उन प्रदेशों से डीजल की खरीद कर रहे है। नतीजा हो रहा है कि झारखंड में डीजल की बिक्री घटने से पंप मालिक तो परेशान है ही सरकार को भी राजस्व की हानि हो रही है।
झारखंड में वैट की दर 22% है, जबकि बिहार में यह 16.37 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 17.8 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 17% है। वैट कम होने के कारण झारखंड का डीजल अगल-बगल के राज्यों से महंगा है और यही वजह है कि यहां के बड़े खिलाड़ी अगल-बगल के राज्यों की ओर रुख करते है। पत्र में यह भी कहा गया है कि पिछले साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के दाम में लगभग 25% तक की बढ़ोतरी हुई, लेकिन दूसरी ओर केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के कारण रिटेल प्राइस में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के मूल्य में आई स्थिरता के बावजूद पेट्रोलियम पदार्थों का कमर्शियल रेट, रिटेल प्राइस के लगभग बराबर हो गया है। यह सब मार्च 2023 से हुआ है। इस वजह से इस वित्तीय वर्ष की पहले तिमाही में डीजल की बिक्री घट गई है और दूसरे प्रदेशों की बिक्री बढ़ गई है।
17% वैट से नुक्सान नहीं, केवल फायदे ही फायदे-
एसोसिएशन का कहना है कि अगर वैट को 17% कर दिया जाए तो सरकार को सीधे प्रत्येक महीना 57 करोड़ रुपए का नुकसान जरूर दिखेगा, लेकिन बिक्री इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि सरकार को लगभग प्रति महीने 17 करोड रुपए अतिरिक्त आय होगी। एसोसिएशन ने कहा है कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार करे, नहीं तो सरकार को भी नुकसान है और झारखंड के लोगों को भी। बड़े खिलाड़ी तो बाहर से सस्ता डीजल मंगा कर काम चलाते रहेंगे, लेकिन यहां के पंप संचालकों को तो नुकसान हो ही रहा है साथ ही साथ झारखंड के लोगों का भी नुकसान हो रहा है। एसोसिएशन का दावा है कि 17% वैट करने से सरकार को नुकसान के बजाय फायदा ही फायदा है। लेकिन पता नहीं क्यों इस आंकड़े पर सरकार गौर नहीं कर रही है और झारखंड के लोगों की जेब पर कैंची चला रही है। शिष्ट मंडल में शरत दुदानी, नीरज भटाचार्य, संजीव राणा शामिल थे।