“बादशाहत” कायम है “कोयला चोरी” में निरसा क्षेत्र का

AJ डेस्क: धनबाद कोयलांचल में काले हीरे की लूट की चर्चा छिड़े और निरसा पुलिस अनुमंडल का जिक्र न हो, यह सम्भव नही है। इस लूट के खेल में दशकों से निरसा का बादशाहत रहा है और वर्तमान में भी निरसा का पताका लहरा रहा है।

 

 

जानकार कहते हैं कि कोयला के अवैध कारोबार के लिए बिहार, यूपी तक के व्यापारी निरसा से वाकिफ हैं। बीच में निरसा क्षेत्र के इस काले कारोबार पर राहु केतु की साया पड़ गई थी, लेकिन अब फिर निरसा ने लम्बी छलांग लगा कर पहले पायदान पर अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है।

 

 

निरसा के घाघ अवैध कारोबारियों का वर्दी वाले एक स्थानीय पदाधिकारी के साथ गहरा छन रहा है। इस अधिकारी को विधि व्यवस्था की कम, काले हीरे की लूट में हिस्सेदारी और ऊपर तक मैनेज करने की चिंता अधिक सताती है। संजय, रमा शंकर और विजय की तिकड़ी वर्दी वाले पदाधिकारी का खासमखास बने हुए है। यादव जी तो चौका छक्का ठोके हुए हैं फिर शंकर जी भला पीछे कैसे और क्यों रहेंगे। यहां महाभारत के संजय की चर्चा नही हो रही है। कोयला का अवैध कारोबारी यह संजय निरसा से दूर बैठे बैठे वर्दी वाले पदाधिकारी न सिर्फ दुलारा बन बैठा है, बल्कि “कारगिल” (पंचेत) तक उसकी दृष्टि है और वहां भी काले हीरे की लूट जारी है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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