क्या कोयला तस्करों का कोप भाजन बनेगा DC रेल लाइन,खतरा बढ़ रहा ?
AJ डेस्क : वर्षों के जन आंदोलन के बाद शुरू हुए DC रेल लाइन पर अब कोयला तस्करों का ग्रहण लगने लगा है।धनबाद चंद्रपुरा रेल लाइन के समीप जोगता में कोयला तस्कर जिस कदर कोयले का अवैध खनन करा रहे हैं।उससे आशंका व्यक्त की जाने लगी है कि रेल लाइन कोयला तस्करों की काली करतूत का भेंट चढ़ जाएगा और फिर डीसी रेल लाइन पर ट्रेनों का परिचालन ठप्प हो जाएगा।

चंद्रपुरा रेल पर एक बार फिर से खतरा मंडराने लगा है।वहीं यात्रियों की जान से भी एक तरह से खिलवाड़ है।शताब्दी, एलेप्पी समेत चलती 26 जोड़ी ट्रेनें डीसी रेल लाइन पर चलती है।वहीं डीसी रेल खंड के नीचे कोयले का अवैध उत्खनन किया जा रहा है।डीसी रेल खंड के नीचे खोखला करने में कोयला तस्कर जुटे हैं।डीजीएमएस की रिपोर्ट के बाद पूर्व में ढाई साल तक ट्रेनों का परिचालन इस रेल खंड पर बंद रहा था।ढाई साल हुए लोगों के आंदोलन के बाद इस पर फिर से ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ है।लेकिन रेल लाइन की नीचे तस्करों के द्वारा व्यापक स्तर पर कोयले की कटाई से एक बार फिर से रेल लाइन पर खतरा मंडराने लगा है।
धनबाद चंद्रपुरा रेल खंड जिस पर 26 जोड़ी ट्रेनें चल रही है।धनबाद के जोगता के समीप डीसी रेल लाइन के नीचे कोयले की बड़े पैमाने पर कटाई की जा रही है।हर दिन हजारों मजदूर कोयला कटाई में लगे रहते है।कोयले की इस कटाई से रेल लाइन के नीचे जमीन को खोखला करने में जुटे है।यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब रेलवे लाइन के नीचे की कोयले की कटाई कर,नीचे खोखला कर देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।इसका नतीजा एक बड़ी आबादी को झेलना पड़ सकता है।सिर्फ यात्रा के लिए ही परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी बल्कि किसी बड़े हादसे से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
ढाई सालों तक आंदोलन में शामिल समाजसेवी विजय झा ने कहा कि डीजीएमएस हेडक्वार्टर महज 10 किलोमीटर दूर है।एरियल डिस्टेंस महज 2 से 3 किमी है।इसके बावजूद भी डीजीएमएस देख नहीं पा रहा,यह दुर्भाग्यपूर्ण है।ऐसे में डीजीएमएस का होना या ना होना कोई औचित्य नहीं है।हर तरह की माइनिंग के देखने की जिम्मेवारी डीजीएमएस की है।कोल कंपनियों के उत्खनन में नियमों के अनदेखी की जिम्मेदारी डीजीएमएस के कंधों पर है।लेकिन डीजीएमएस के अधिकारी पूरी तरह से सुस्त है।धनबाद चंद्रपुरा रेल खंड पर चलने वाले 26 जोड़ी यानी कुल 52 ट्रेनों को यह बोलकर बंद किया गया था कि रेल लाइन के नीचे आग है।बंद होने के बाद करीब दो सालों तक आंदोलन चला।लगातार चले इस आंदोलन के कारण ही 19 फरवरी 2019 को ट्रेनों का परिचालन फिर से आरंभ हुआ।फिर से उसी डीसी रेल लाइन पर खतरा मंडराने लगा है,ऐसे में कभी भी ट्रेनें बंद होने की घोषणा हो सकती है।जबकि इस रेल खंड पर एक करोड़ 14 लाख यात्री विभिन्न ट्रेनों में सफर करते हैं।यह आंकड़ा रेलवे का है।अगर ऐसे रेलखंड की अनदेखी हो रही तो रेलवे को बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है।सिर्फ यात्री ट्रेन ही नहीं चलते हैं।गुड्स रेल भी चलती है।जिससे कि परिवहन होता है।यह सुगम रेलखंड है।बॉम्बे के बाद सबसे अधिक राजस्व देने वाला धनबाद है। डीजीएमएस मामले निष्क्रिय,रेलवे को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।ऐसा ना हो कि अवैध उत्खनन के कारण इस रेलखंड के ऊपर फिर से खतरा मंडराने लगे।डीजीएमएस और रेल प्रबंधन दोनों को अपनी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है।साथ जिला प्रशासन को मामले में संज्ञान लेने की जरूरत है।ताकि भविष्य में कोई हादसा ना हो सके।
वहीं रेलवे सुरक्षा सलाहकार समिति के सदस्य पिंटू सिंह ने कहा कि धनबाद चंद्रपुरा रेल खंड पर जोग़ता के पास कोयला तस्करों के द्वारा रेल लाइन के नीचे कोयले की कटाई की जा रही है।जिनके द्वारा कोयले की कटाई की जा रही है।वो पूरी तरह से गलत कर रहें है। उन्होंने कहा कि डीआरएम से मिलकर मामले पर कार्रवाई की मांग करेंगें।अगर रेलवे लाइन के नीचे कोयले की कटाई बंद नहीं होती तो फिर एक बार इस रेल खंड के बंद होने का खतरा मंडराने लगेगा। उन्होंने कहा कि शताब्दी और एलेप्पी जैसी 26 जोड़ी ट्रेनें चलती हैं।
वहीं डीजीएमएस यानी खान सुरक्षा महानिदेशालय के महानिदशक पीके सिंह इस मामले पर बोलने से बचते नजर आए,हालांकि उन्होंने कहा कि मामला हमारे नजर में आया है,मामले की जांच की जाएगी।
