पाकिस्तान में है हिंदुओं का यह प्रसिद्ध ‘कटासराज मंदिर’, यहां पर गिरे थे महादेव शिव के आंसू!

AJ डेस्क: आमतौर पर सभी हिंदू देवी देवताओं में भगवान शिव का एक अलग ही स्थान है। यही कारण है कि भारत के कोने कोने में भगवान शंकर के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं और इन मंदिरों का अपना एक प्राचीन इतिहास भी है। आज महाशिवरात्रि है और भगवान शिव के भक्त इस दिन विशेष तरह से पूजा पाठ और भोले शंकर के दर्शन करने की इच्छा रखते हैं।

 

 

वैसे तो भारत में स्थित शिव मंदिरों के बारे में हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि एक ऐसा ही फेमस शिव मंदिर पाकिस्तान में भी है। जी हां, हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के कटासराज मंदिर के बारे में। कटासराज मंदिर प्राचीन समय में संगीत, कला और विद्या का भी एक प्रसिद्ध केंद्र था। आइये जानते हैं भगवान शिव के इस मंदिर के बारे में…

 

 

कहां स्थित है कटासराज मंदिर

कटासराज मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित है। यह पाकिस्तान से लगभग 40 किमी दूर है और लाहौर एवं इस्लामाबाद मोटरवे के ठीक बगल में साल्ट रेंज की मशहूर पहाड़ियों पर स्थित है। कटासराज मंदिर के पास एक प्रसिद्ध सरोवर भी है।

 

 

माना जाता है कि यहां पहले मंदिरों की श्रृंखला हुआ करती थी, लेकिन अब सिर्फ चार ही मंदिरों के अवशेष बचे हैं, जिनमें भगवान शिव, राम और हनुमान के मंदिर हैं। इसके अलावा यहां पर बौद्ध स्तूप एवं जैन मंदिरों के भी अवशेष देखने को मिलते हैं। यहां सिख धर्म से जुड़े स्थल भी हैं। माना जाता है कि सिखों के गुरु नानकदेव और नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक गोरखनाथ भी इस स्थल पर आये थे।

 

 

 

 

 

पाकिस्तान के इस शिव मंदिर में छलक पड़े थे महादेव के आंसू

किवदंतियों के अनुसार एक बार भगवान शिव माता सती की अग्नि समाधि से बहुत दुखी हो गए और विलाप करने लगे। इस दौरान उनके आंसू दो स्थानों पर गिरे। पहले स्थान पर कटासराज सरोवर का निर्माण हुआ तो दूसरे स्थान पर पुष्कर का।

 

 

यह भी मान्यता है कि सती के पिता दक्ष प्रजापति ने शिव के ऊपर व्यंग्य यानि कटाक्ष किया था। कटाक्ष से ही कटासराज शब्द की उत्पत्ति हुई है।कटासराज को महाभारत में द्वैतवन कहा गया है जो सरस्वती नदी के तट पर स्थित था।

 

 

 

 

कला का केंद्र था कटासराज मंदिर

पाकिस्तान सरकार ने हाल में कटासराज मंदिर के जीर्णोद्धार और उसे यूनेस्को विरासत सूची में लाने के प्रयास किए हैं। कटासराज मंदिर प्राचीन समय में संगीत, कला और विद्या का भी एक प्रसिद्ध केंद्र था। लेकिन 11वीं सदी में महमूद गजनवी के आक्रमण के बाद इसका वैभव नष्ट हो गया। कई शोध दावा करते हैं कि यूरोप की जिप्सी या रोमां जाति के लोग उन्हीं कलाकारों के वंशज हैं जिनके संगीत को रोमां संगीत कहा जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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