चुनाव, नेता जी और मौसम आपस में खेल रहे आँख मिचौली
AJ डेस्क: चुनावी तपिश इंद्र भगवान भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे। तभी तो ज्यों ज्यों चुनावी तपिश बढ़ते जा रही है, मौसम भी अपना रंग बदलते जा रहा है।आम नागरिक को भले ही रोज होने वाली झमाझम बारिश राहत दे रही हो लेकिन नेता जी का पसीना बहा देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा होगा यह सुहाना मौसम।
लोक सभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। प्रत्याशियों का चयन और उनके नामों की घोषणा होने लगी है।नामांकन पत्र भी दाखिल किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। जोड़ -तोड़, नाराज को मनाने, बगावत करने वाले नेता को समझाने का खेल हो ही रहा है, साथ में जन सम्पर्क अभियान को भी गति देने का प्रयास चल रहा है।
बात बिहार की करें या झारखण्ड की। ज्यों ज्यों चुनावी तपिश बढ़ता जा रहा है। मौसम भी गजब का करवट बदल रहा है। किसी राजनैतिक पार्टी से कम तेजी से मौसम अपना रंग नहीं बदल रहा। देर रात तक चुनावी खिचड़ी पकाने के बाद सुबह उठते उठते नेता जी चाहे अनचाहे कार्यकर्ताओं के बीच घिर जाते हैं। अमूमन दोपहर के बाद ही उनका क्षेत्र भ्रमण और भाषणबाजी का दौर शुरू होता है।
ठीक इसी समय “इंद्र” देव भी न जाने क्यूँ अपनी कृपा बरसा रहे है। पिछले कई दिनों से देखा जा रहा है कि दोपहर के बाद तेज हवा के साथ बारिश शुरू हो जा रही है। जो दिन को ही अपने आगोश में लेकर रात का अहसास करा देती है। नेता जी, समझ नहीं पा रहे हैं कि अब क्या किया जाए। इसे किसकी साजिश करार दिया जाए। किसी चैनल पर भी इस मुद्दे को लेकर डिबेट नहीं बुलाया जा रहा कि वहां दिल का भड़ास निकाल लिया जाए। घुमक्कड़ ने कहा कि पांच साल तक पर्यावरण की चिंता नहीं करने का खामियाजा अभी नेता जी लोग भोग रहे हैं।
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