कहीं पे निगाहें-कहीं पे निशाना—– घुमक्कड़ की पैनी नजर

AJ डेस्क: चुनाव में चुटकुला का सहारा न लिया जाए, छायावादी उदाहरण न पेश किया जाए, कहीं पे निगाहें-कहीं पे निशाना के तर्ज पर नेता जी बात न करें तो विरोधी की बखिया कैसे उधेड़ पाएंगे। प्रत्यक्ष वार करने से सभी बचना भी चाहते हैं क्योंकि “हमाम में सभी—–हैं”।

 

 

हम धनबाद के एक धाक्कड़ नेता (राजनीति क्षेत्र में जो बड़े भाई भी हैं, अभिभावक भी हैं और गम्भीर भी हैं) के बारे में बात कर रहे हैं जो चुनावी दंगल में अपने सामने उतरे एक प्रत्याशी की शक्ति के बारे में एक पुरानी उदाहरण के साथ बताते हैं। अनल ज्योति भी नेता जी के भाषा में ही उनकी बात रख रहा है। अब आप स्वयं तय कर लें कि धनबाद के यह धाक्कड़ नेता के सोच में कितना दम है।

 

 

कोयलांचल की राजनीति में अपना अलग स्थान रखने वाले नेता जी आसन्न लोक सभा चुनाव में चुनावी दंगल में उतर चुके एक युवा प्रत्याशी के राजनीतिक भविष्य के बारे में कुछ इस तरह बताते हैं। नेता जी पिछले विधान सभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जिला के एक क्षेत्र से पार्टी ने एक बुजूर्ग नेता को टिकट दे दिया था। उसी क्षेत्र के एक व्यापारी सह नेता बगावत कर चुनाव लड़ने की घोषणा कर देते हैं। बागी नेता का फैमिली बैकग्राउंड भी राजनीति का था और लक्ष्मी का आशीर्वाद था ही। पार्टी के लगभग सभी नेताओं ने बागी उम्मीदवार को चुनाव नहीं लड़ने की नसीहत दी। लेकिन वह नहीं माने। अंतिम में पार्टी के प्रत्याशी अनुभवी बुजुर्ग नेता ने कहा कि बागी को मनाना बेकार है। वह बैठ भी जाएगा तो दिल से पार्टी प्रत्याशी को समर्थन नहीं देगा। बागी के समर्थक और प्रत्याशी से नाराज वोटर विरोधी प्रत्याशी को यदि वोट दे दिए तो मुश्किल बढ़ जाएगी। इसलिए बागी का चुनाव लड़ना प्रत्याशी के लिए लाभप्रद होगा। उसके बाद बागी का मान मनौवल खत्म हो गया। चुनाव के रिजल्ट ने भी बागी प्रत्याशी को उसकी शक्ति का अहसास करा दिया।

 

 

आसन्न लोक सभा चुनाव में धनबाद के एक चर्चित घराने का युवक चुनावी दंगल में ताल ठोक रहा है। हालांकि उसे बागी नहीं कहा जा सकता। यह अलग बात है कि उसके परिवार के अन्य सदस्य एक पार्टी से जुड़े हुए हैं। इस प्रत्याशी के साथ एक अलग बात यह भी है कि कोयलांचल का एक मजबूत श्रमिक संगठन इसके साथ जुड़ा हुआ है। कोयलांचल की राजनीति में धाक्कड़ माने जाने वाले नेता जी का उक्त बागी के साथ इस युवा प्रत्याशी का तुलना करना कहाँ तक सही साबित होगा, यह तो मई महीने में होने वाली गिनती के दिन ही पता चल पाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

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