“फानी” से ज्यादा “बिजली रानी” ने दिखाया अपना जलवा

AJ डेस्क: चक्रवात “फानी” आ रहा है। अन्य प्रान्तों में कहर बरपायेगा ही, झारखण्ड भी इससे अछूता नहीं रहेगा।प्रशासनिक महकमा को अलर्ट मूड में डाल दिया गया। रोने की इच्छा थी, आँख खोदा गया- यह कहावत लागू हो गया “बिजली रानी” पर। जिला का बड़ा क्षेत्र रात भर अँधेरे में रहा।

 

 

यूँ तो सामान्य दिनों में भी बिजली आपूर्ति की स्थिति खस्ताहाल ही है। प्रतिदिन घण्टों बिजली गुल रहती है। क्यों रहती है, इसका ठोस कारण कोई नहीं बता सकता। आम उपभोक्ता तो बस लाचार, विवश होकर बिजली रानी का नखड़ा बर्दाश्त करता है, उपभोक्ता के वश में कुछ है भी नहीं जो वह रूठे बिजली को मना सके। वहीं बिजली रानी है कि आँख मिचौनी खेलने से बाज नहीं आ रही है। जिम्मेवार विभाग भी कभी उपभोक्ताओं को सही कारण बताने का जहमत नहीं उठाता। कभी सड़क चौड़ीकरण तो कभी तार बदलने की बात सुनी जाती है।

 

 

मरम्मत, बदलाव, नवीकरण वगैरह वगैरह वजहों से दिन-दिन भर बिजली गुल रहती ही है। शाम ढलने के बाद फिर इसका नखड़ा शुरू हो जाता है। प्रायः सुनने को मिलता है कि धनबाद के किसी न किसी क्षेत्र में रात भर बिजली आपूर्ति ठप्प रही। एक पावर सब स्टेशन है आमाघटा। इस पावर स्टेशन को किसी की नजर लग गयी है। बिजली के भारी उपकरण जलने खराब होने की बात आम हो गयी है। आमाघाटा सब स्टेशन से सरायढेला क्षेत्र में भी बिजली आपूर्ति होती है। पहले इस क्षेत्र में PMCH सब स्टेशन से बिजली आपूर्ति होती थी। नई व्यवस्था के बाद उपभोक्ता त्राहि त्राहि कर उठे हैं। महीनों से देखा जा रहा है कि रात बारह बजे के पहले इस क्षेत्र में बिजली टिकती ही नहीं है। बिजली का भक भुक करना रोज की बात हो गयी है।

 

 

फानी ने तो धनबाद में जलवा नहीं दिखाया लेकिन बिजली विभाग कहाँ चुकने वाला था। मरम्मत के नाम पर रोज घण्टों बिजली आपूर्ति ठप्प करने वाला यह विभाग हकीकत में क्या करता है, शायद उसे भी मालूम न हो। कल चक्रवात का तूफान यहां नही देखने को मिला। पता चल रहा है कि सरायढेला क्षेत्र में तीन चार स्थानों पर तार टूट कर गिर पड़ा है, जिस वजह क्षेत्र में पूरी रात बिजली नहीं थी। थोड़ी से हवा बह जाए या बूंदा बूंदी हो जाए, उपभोक्ता समझ जाते हैं कि अब उन्हें अँधेरे में समय गुजारना होगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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