इस बार भी कांग्रेस को नहीं मिलेगा नेता प्रतिपक्ष का पद
AJ डेस्क: लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं। कांग्रेस को एक बार फिर 2014 की तरह करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। कांग्रेस को 2014 में जहां 44 सीटें मिली थी तो इस बार उसे केवल 52 सटों से ही संतोष करना पड़ा। कांग्रेस को 2014 की तुलना में केवल 8 सीटों का ही फायदा हुआ। ऐसे में यहाँ एक और रिकॉर्ड बनता दिख रहा है। जी हां, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी वायनाड से भले ही चुनाव जीत गए हों लेकिन अपनी पारंपरिक सीट अमेठी से उन्हें भाजपा की स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। राहुल गांधी को अमेठी से 50 हजार से ज्यादा वोटों से हार मिली है। इतना ही नहीं इस बार भी कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद मिलता नहीं दिख रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी पार्टी की हार के लिए ‘सौ फीसदी जिम्मेदारी’ ली है लेकिन उन्होंने कहा कि पार्टी की भाजपा के साथ वैचारिक जंग जारी रखेगी। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से कहा कि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने चुनावी जीत पर मोदी और भाजपा को बधाई दी और कहा, ‘भारत की जनता ने फैसला दिया है कि नरेंद्र मोदी अगले प्रधानमंत्री हों और मैं इसका पूरा सम्मान करता हूं।’

लोकसभा के कुल सदस्यों की संख्या 543 है और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के लिए कम से कम इसका 10 फीसदी यानि 55 सीटों की जरूरत होती है और कांग्रेस को केवल 52 सीटें मिली हैं। ऐसे में कांग्रेस को एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष का पद भी नहीं मिल पाएगा।

ऐसा संभवतः भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार होगा जब लगातार दूसरी बार लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं होगा। यह पद एक संवैधानिक पद होता है। अब यह लोकसभा स्पीकर पर निर्भर करता है कि वो किसी एक दल को यह पद देता है कि नहीं। आपको बता दें कि 2014 में भी भाजपा ने शानदार सफलता हासिल की थी और कांग्रेस को तब भी नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं मिला था।
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