श्रमिक संगठन का दुर्ग “जमस” भी अब दरकेगा क्या?

AJ डेस्क: कोयलांचल धनबाद में निःसन्देह जनता मजदूर संघ श्रमिकों का सबसे मजबूत संगठन के रूप में बचा हुआ है। लोक सभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद श्रमिकों के इस संगठन पर भी ग्रहण का साया मंडराने लगा है।

 

 

जनता मजदूर संघ के भीतर खलबली मची हुई है। जमस के हितैषी बताते हैं कि इस खलबली से भागमभाग की स्थिति उतपन्न होने लगी है। हालांकि अभी किसी स्तर से विरोध का स्वर उठ तो नहीं रहा है लेकिन भीतर ही भीतर मामला सुलगने अवश्य लगा है। जमस के सदस्य संगठन के भीतर चल रही हरकतों को लोक सभा चुनाव के रिजल्ट से जोड़कर देख रहे हैं।

 

 

यहाँ बता दें कि हाल ही में सम्पन्न हुए लोक सभा चुनाव में जनता मजदूर संघ के संयुक्त महामंत्री सिद्धार्थ गौतम उर्फ़ मनीष सिंह बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़े थे। वहीं चुनाव के दौरान सिद्धार्थ गौतम के बड़े भाई, झरिया के विधायक और जनता मजदूर संघ के केंद्रीय उपाध्यक्ष संजीव सिंह जेल में रहते हुए भी भाजपा प्रत्याशी को समर्थन दे रहे थे। विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह क्षेत्र में दौरा कर भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में वोट मांग रही थीं। इस घटना के बाद ही अनुमान लगाया जा रहा था कि चुनाव के बाद भी इस परिवार के बीच मतभेद बढ़ सकता है। जनता मजदूर संघ में हो रहे उलटफेर को चुनाव के रियेक्शन का एक हिस्सा माना जा रहा है।

 

 

जनता मजदूर संघ की महामंत्री कुंती सिंह के हस्ताक्षर से संगठन में कुछ फेर बदल किये गए हैं। चासनाला के सचिव, बरारी ब्रांच के महीप सिंह और असंगठित के नेता ललन पासवान के पद पर किसी और की प्रतिनियुक्ति का पत्र जारी किया गया है। इन श्रमिक नेताओं को दिए गए पत्र में नए की नियुक्ति का जिक्र तो किया गया है लेकिन इनके हटाए जाने की बात नही कही गयी है। जनता मजदूर संघ के इन पदाधिकारियों ने कल धनबाद जेल जाकर विधायक संजीव सिंह से भेंट कर उन्हें बताया कि आपके निर्देश पर भाजपा के लिए काम करने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।

 

 

चुनाव से लेना-देना नहीं: कुंती सिंह

इस सम्बन्ध में पूर्व विधायक और जनता मजदूर संघ की महामंत्री कुंती सिंह से सम्पर्क किए जाने पर उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई का चुनाव से कोई लेना देना नहीं है। चुनाव के दौरान जनता मजदूर संघ के पदाधिकारियों को कार्यालय में बुलाया गया था। बैठक में शामिल नही होने वाले, अनुशासन तोड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि फेर बदल सामान्य प्रक्रिया में आता है। इसे दूसरा रंग देने का प्रयास हो रहा है। जबकि दूसरों को भी काम करने का मौका दिया जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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