“डिवाइडर इन चीफ” लिखने वाले मैगजीन का रिजल्ट के बाद “मोदी” के प्रति नजरिया बदला

AJ डेस्क: ये दुनियां भी बड़ी अजीब है। समय के साथ लोगों का नजरिया भी बदलता रहता है। अब मशहूर अमेरिकी मैगजीन ‘टाइम’ को ही देख लीजिए। लोकसभा चुनाव 2019 के प्रचार के दौरान मशहूर अमेरिकी मैगजीन ‘टाइम’ ने अपने कवर पेज पर पीएम नरेंद्र मोदी को ‘डिवाइडर इन चीफ’ यानी ‘तोड़ने वाला मुखिया’ बताया था। लेकिन प्रचंड बहुमत वाले परिणाम आने के बाद टाइम मैगजीन के सुर बदल गए हैं। अब टाइम को यकीन हो रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी ‘डिवाइडर’ नहीं हैं बल्कि भारत को जोड़ने वाले नेता हैं। दरअसल TIME मैगजीन की वेबसाइट पर मनोज लाडवा के लेख को जगह दी गई है। मनोज प्रधानमंत्री की चुनाव प्रचार टीम का हिस्सा रह चुके हैं।

 

 

चुनाव से पहले मशहूर अमेरिकी मैग्जीन टाइम (एशिया एडिशन) ने पीएम नरेंद्र मोदी के बारे में अपनी राय रखी थी जिसके अनुसार भारत में मोदी के खिलाफ कोई बेहतर विकल्प नहीं है। बहुसंख्यक आबादी उन्हें एक ऐसे शख्स के रूप में देखती है जो समाज में विभाजन करने का काम करता है। साथ ही यह भी कहा था कि दिल्ली की सत्ता पर वो एक बार फिर काबिज हो सकते हैं।

 

 

टाइम मैग्जीन ने 1947 के उस इतिहास का जिक्र किया था जब भारत को आजादी मिली थी और ये बताया था कि किस तरह पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू ने धर्मनिरपेक्षता को सरकार का मूल माना। उनके मुताबिक धर्म का राज्य की नीतियों में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। लेकिन बदलते हुए समय के साथ कांग्रेस का वंशवाद भारतीय राजनीतिक का एक प्रमुख चेहरा बना। कई कालखंडों के सफर को तय करते हुए अलग अलग दलों के नेताओं ने कांग्रेस को चुनौती पेश की। लेकिन 2014 का साल बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ।

 

 

टाइम की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में भारत के राष्ट्रीय राजनीतिक क्षितिज पर एक ऐसे शख्स( नरेंद्र मोदी) का अवतरण हुआ जो कांग्रेस की उन नीतियों और सिद्धांतों की मुखालफत कर रहा था जिसे कांग्रेस पार्टी अपनी कामयाबी के रूप में पेश करती थी। 2014 में जब नतीजे सामने आए तो कांग्रेस पूरी तरह सिकुड़ चुकी थी। एक ऐसी पार्टी जो भारत के सभी हिस्सों पर राज कर चुकी थी उसके लिए संसद में नेता विपक्ष के लिए आवाश्यक आंकड़ों की कमी पड़ गई।

 

 

टाइम ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मोदी इस मायने में खुशनशीब हैं कि उनके खिलाफ कमजोर विपक्ष है। कांग्रेस की अगुवाई में और उसके साथ साथ एक ऐसा विपक्ष है जिसका कोई एजेंडा नहीं है वो सिर्फ पीएम मोदी को हराना चाहता है। इन सबके बीच पीएम मोदी को ये पता है कि 2014 में किए गए वायदों को पूरी तरह जमीन पर उतारने में नाकाम रहे लिहाजा वो उन मुद्दों या उन चेहरों को उजागर कर रहे हैं जो कहीं न कहीं अपने वादों को निभा पाने में नाकाम रहे थे।

 

 

यही वजह है कि वो अपने आशियाने में बैठकर ट्वीट कर ये बताते हैं कि वो क्यों वंशवाद और सल्तनत जैसी परंपरा के खिलाफ हैं। हालांकि ये समय समय की बात होती है। चुनाव परिणाम के बाद अन्य कई लोगों की तरह मशहूर मैगजीन के सुर भी पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर बदल गए हैं और अब वह देश को जोड़ने वाले नेता हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Article पसंद आया तो इसे अभी शेयर करें!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »