चर्चित बकोरिया कांड: पलामू पहुंची सी बी आई और फोरेंसिक टीम

AJ डेस्क: 9 जून 2015 को झारखण्ड के पलामू जिला स्थित सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया भेलवाघाटी में सुरक्षा बलों और माओवादियों के एक मुठभेड़ हुई थी। जिसमें माओवादियों के साथ कुछ निर्दोष ग्रामीणों की भी मौत हो गई थी। आज इसी मामले की जाँच करने सेन्ट्रल फोरेंसिक लैब के निदेशक और सीबीआई के वरीय अधिकारियों की एक टीम पलामू पहुंची है।

 

 

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सेन्ट्रल फोरेंसिक लैब के निदेशक डॉ. निलेन्दु बिकास वर्धन के नेतृत्व में यहाँ पहुंची सीबीआई की टीम उस स्कॉर्पियो गाड़ी की जाँच कर रही है जिसे मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के पास से जब्त किया था। टीम 4 साल पुराने उस मुठभेड़ का नाटकीय रूपांतरण भी करेगी ताकि टीम के एक्सपर्ट उस मुठभेड़ के हर पहलु को बारीकी से समझ एक-एक कड़ी को जोड़ सके।

 

 

बता दें कि उस घटना में मारे गए निर्दोष लोगों के परिजनों मामले को लेकर झारखण्ड हाई कोर्ट से अपील किया था। जिसके आलोक में उच्च न्यायालय ने इस मामले की जाँच की जिम्मेवारी सीबीआई को सौप दिया था। ऐसा माना जा रहा है कि इस कथित मुठभेड़ के जाँच के दायरे में झारखण्ड पुलिस के कई आलाधिकारी भी आ सकते है।

 

 

9 जून 2015 को बकोरिया के भेलवाघाटी में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुए कथित मुठभेड़ काफी चर्चा में रही थी। इस मुठभेड़ में शामिल सुरक्षाबलों ने दावा किया था कि इस मुठभेड़ में माओवादी कमांडर अनुराग उर्फ डॉक्टर उर्फ आरके समेत 12 माओवादी मारे गए हैं। मारे गए कथित माओवादियों में चार नाबालिग, एक ड्राइवर, अनुराग का बेटा और भतीजा, एक पारा शिक्षक और उसका भाई भी शामिल था। सुरक्षाबलों ने उस समय दावा किया था कि सभी माओवादी एक स्कॉर्पियो से जा रहे थे। इसी क्रम में भेलवाघाटी में मुठभेड़ हो गई थी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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