सावधान: पॉक्सो कानून में संशोधन के बाद दोषी को मृत्यु दंड देने का प्रावधान

AJ डेस्क: केन्द्रीय कैबिनेट ने बुधवार को बच्चों के खिलाफ अपराध से निपटने वाले पॉक्सो कानून में संशोधनों को मंजूरी दी और बच्चों के खिलाफ यौन अपराध करने वालों को मृत्युदंड देने का प्रावधान शामिल किया।  अधिकारियों ने बताया कि बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) कानून में संशोधन में बाल पोर्नोग्राफी पर लगाम लगाने के लिए सजा और जुर्माने का भी प्रावधान शामिल है।

 

 

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सरकार ने कहा कि इन संशोधनों से बाल यौन उत्पीड़न पर अंकुश लगने की उम्मीद है क्योंकि कानून में शामिल किए गए मजबूत दंडात्मक प्रावधान निवारक का काम करेंगे। सरकार ने कहा, ‘इसकी मंशा परेशानी में फंसे असुरक्षित बच्चों के हितों का संरक्षण करना तथा उनकी सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने की है।

 

 

संशोधन का उद्देश्य बाल उत्पीड़न के पहलुओं तथा इसकी सजा के संबंध में स्पष्टता लेकर आने का है।’ महिलाओं और बच्चे के खिलाफ बढ़ते यौन अपराधों पर इसे कानून में बड़े बदलाव की तरह देखा जा रहा है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार को प्रोटेक्शन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंस (पॉक्सो) एक्ट 2012 में बड़ा बदलाव कर यौन अपराध आरोपी के लिए मृत्यु दंड का प्रावधान लेकर आई है।

 

 

एक प्रेस रिलीज में सरकार ने ये घोषणा कर दी है कि बच्चों के प्रति बढ़ रहे यौन अपराध में इस तरह की सजा का प्रावधान लागू होने से ऐसे अपराध में काबू पाया जा सकेगा। मृत्युदंड की सजा के अलावा चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों के लिए जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान किया गया है।

 

 

सरकार ने कहा है कि इस तरह की सजा ही बच्चों के प्रति होने वाले अपराध में कमी ला पायेंगे। इतना ही नहीं बच्चों में होने वाले अवसाद में भी कमी देखी जा सकेगी। सामाजिक कार्यकर्ताओं और अभिभावकों की अपील पर कैबिनेट में इस पर बड़ा फैसला लिया गया है।

 

 

इस कड़ी में पॉक्सो एक्ट की धारा 2, धारा 4, धारा 5, धारा 6, धारा 9, धारा 14, धारा 15, धारा 34, धारा 42, और धारा 45 में भी संशोधन किया गया है। इसके अलावा धारा 4, धारा 5, धारा 6 में कुछ ऐसे बदलाव किए गए हैं जिसमें इस तरह के अपराधों पर तत्काल और मृत्युदंड जैसी कड़ी सजा दी जाएगी।

 

 

इसके अलावा पॉक्सो एक्ट के धारा 9 में भी बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें प्राकृतिक आपदा के दौरान बच्चों के साथ यौन अपराध जैसे मामले आते हैं। सरकार के द्वारी जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया कि ऐसे स्थिति में रह रहे बच्चों को केमिकल पदार्थ देकर उनके साथ यौन अपराध को अंजाम दिया जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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