बाढ़ निगल गयी तीन मासूम बच्चों की जान, आखिर बाढ़ के नाम पर कब तक होगा मौत का तांडव (देखें वीडियो)
AJ डेस्क: बिहार, असम, उत्तर प्रदेश समेत भारत के कई इलाके इन दिनों बाढ़ का सामना कर रहे हैं। बाढ़ की वजह से लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। इस बीच बिहार के मुजफ्फरपुर से दिल दहला देने वाली एक तस्वीर सामने आई है। तस्वीर एक तीन महीने के बच्चे की है। बाढ़ की चपेट में आया यह मृत बच्चा आंखें नम कर दे रहा है।
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बच्चे का नाम अर्जुन है। बच्चा मुजफ्फरपुर के शिवाईपट्टी थाना के शीतलपट्टी गांव से है। गांव के निवासी शत्रुघ्न राम की पत्नी रीना देवी बागमती नदी के तट पर कपड़ा धोने और नहाने गई थीं। रीना देवी के साथ उनके 4 बच्चे भी गए थे जो नदी के किनारे खेल रहे थे। इसी दौरान उनका एक बच्चा अचानक पानी में फिसल गया।
अर्जुन को बचाने पानी में कूद गई मां और भाई
मां और बाकी तीनों बच्चों ने उसे बचाने के लिए पानी में कूद गए। लेकिन नदी में पानी का बहाव काफी तेज थे। ये लोग भी डूबने लगे। स्थानीय लोगों ने उन्हें समय रहते देख लिया जिससे रीना देवी और उनकी एक बेटी राधा को लोगों ने बचा लिया, लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी 3 बच्चे अर्जुन, राजा और बेटी ज्योति को बाहर नहीं निकाला जा सका।
देखें वीडियो-
किसी तरह तीनों बच्चों का शव घटना वाले दिन ही पानी से निकाला गया। इनमें से एक तीन माह का अर्जुन भी था। अर्जुन जिस हालत में मिला, उसने सभी को रुला दिया। अर्जुन की तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी शेयर की जा रही है।
मामले में मुजफ्फरपुर पुलिस ने की कार्रवाई
वहीं मामले के तूल पकड़ने के बाद स्थानीय पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए मृत बच्चे की माँ रीना देवी को हिरासत में ले लिया है। पुलिस ने रीना देवी को अपने ही तीन बच्चे की हत्या करने के मामले में हिरासत में लिया है। पुलिस के अनुसार ये मौत बाढ़ की वजह से नहीं बल्कि महिला ने खुदखुशी करने के क्रम में अपने सभी बच्चों को पहले उफनती बागमती में फेंक दिया और खुद भी उफनती नदी में कूद पड़ी। लेकिन रीना देवी और उसकी बेटी राधा को तो ग्रामीणों ने बचा लिया पर उसके तीन बच्चे काल के गाल में समा गए।
2015 में सीरियाई बच्चे की तस्वीर ने आंखें की थी नम
गौरतलब है कि साल 2015 में एक सीरियाई बच्चे की तस्वीर वायरल हुई थी। तस्वीर में तुर्की के समुद्री तट पर एक बच्चा औंधे मुंह पड़ा हुआ था। इसने दुनियाभर के लोगों को झकझोर कर रख दिया था। इस तस्वीर में सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध की बर्बरता सामने आई थी।
मालूम हो कि बिहार के मुजफ्फरपुर में बहने वाली बागमती, लखनदेई और बूढ़ी गंडक नदी में इस साल भी उफान आने से लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। गांव के गांव पानी में डूबे हैं। अपनी जान बचाने के लिए लोग गांव, घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर पहुंच रहे हैं, लेकिन उनकी मुसीबतें यहां भी कम नहीं हो रही हैं।
लोग अपनी जिंदगी को तो किसी तरह सुरक्षित कर ले रहे हैं, लेकिन सड़कों पर दिन और रात काट रहे इन लोगों को दो समय पेट भरने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। आशियाना के नाम पर ऐसे लोगों को पॉलीथिन से बना छप्पर सिर छिपाने के लिए कम पड़ रहा है। कहने को तो प्रशासन और सरकार द्वारा बाढ़ राहत शिविर खोले गए हैं, लेकिन यह ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ साबित हो रहे हैं।
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