गुमनामी बाबा के सुभाषचंद्र बोस होने की पुष्टि नहीं, पेश होगा सहाय रिपोर्ट

AJ डेस्क: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बुधवार को विधानसभा में गुमनामी बाबा पर जस्टिस विष्णु सहाय की रिपोर्ट पेश करेगी। इससे पहले जांच रिपोर्ट को कैबिनेट की बैठक में रखा गया था। फैजाबाद में लंबे समय तक सुभाषचंद्र बोस के हमशक्ल कहे जाने वाले गुमनामी बाबा की मौत 1985 में हुई थी। लोग इन्हें सुभाषचंद्र बोस मानते थे।

 

 

 

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सूत्रों के मुताबिक विष्णु सहाय की रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा कौन थे और क्या वह सचमुच में सुभाष चंद्र बोस ही थे। हालांकि इस रिपोर्ट में कई ऐसी विशेषताएं बताई गई हैं, जिसके मुताबिक गुमनामी बाबा और सुभाषचंद्र बोस में कई समानताएं दिखती हैं। सुभाषचंद्र बोस भी गुमनामी बाबा की तरह बंगाली थे और अंग्रेजी, हिंदी और बंगाली फर्राटेदार बोलते और लिखते थे। गुमनामी बाबा को भी राजनीति, युद्ध और समसामयिक बिषयों की गहरी जानकारी थी। वह संगीत प्रेमी थे और पूजा-पाठ और ध्यान में अपना वक्त गुजारते थे।

 

 

 

 

सूत्रों के मुताबिक सहाय आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि गुमनामी बाबा सुभाषचंद्र बोस थे या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है, क्योंकि उनकी मृत्यु के 31 साल के बाद उनके बारे में खोजबीन शुरू हुई। अखिलेश यादव के शासन के दौरान गुमनामी बाबा की पहचान को लेकर जस्टिस विष्णु सहाय आयोग का गठन हुआ था, जिसकी रिपोर्ट अब सार्वजनिक होगी।

 

 

बता दें कि स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की जिंदगी के आखिरी दिन रहस्यों के साए में रही है। उनकी मृत्यु को लेकर कई तरह की थ्योरी प्रचलित है। उम्मीद है कि विष्णु सहाय की रिपोर्ट आने के बाद इस रहस्य से पर्दा हट सकता है।

 

 

 

 

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