आर्टिकल 370 के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां दो खेमे में बंटी

AJ डेस्क: नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू क्श्मीर में आर्टिकल 370 को लेकर बड़ा ऐलान किया है, गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आर्टिकल 370 को हटाने का संकल्प पत्र पेश किया। इस संकल्प पत्र को पेश होने के बाद ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसे मंजूरी देदी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मंजूरी मिलने के बाद अब जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया है और इसके साथ ही लद्दाख को अलग राज्य बनाया गया है। सरकार के इस फैसले पर राज्यसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया लेकिन कुछ विपक्ष की पार्टी ऐसी भी है जो मोदी सरकार के इस फैसले का समर्थन कर रही हैं।

 

 

 

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मोदी सरकार के आर्टिकल 370 के फैसले पर अरिवंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप), मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (बीजेडी), ई. मधुसूदनन की ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़ग (एआईएडीएमके) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना इस फैसले का समर्थन कर रही है। इसके साथ ही कश्मीर के पंडितों ने इस फैसले का स्वागत किया है।

 

 

 

 

वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्विटर पर कहा- हम जम्मू-कश्मीर पर किए गए फैसले पर सरकार का समर्थन करते हैं। हमें उम्मीद है कि यह राज्य में शांति और विकास लाएगा।

 

 

 

 

अन्नाद्रमुक सांसद ए नवनीतकृष्णन ने राज्यसभा में का अम्मा संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने के लिए जानी जाती हैं। इसलिए ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़ग (AIADMK) पार्टी दो प्रस्तावों पुनर्गठन विधेयक और आरक्षण विधेयक का समर्थन करती है।

 

 

 

बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने राज्यसभा में कहा कि हमारी पार्टी पूरा समर्थन देती है हम चाहते हैं कि विधेयक पारित हो। हमारी पार्टी धारा 370 विधेयक और अन्य विधेयक का कोई विरोध नहीं व्यक्त कर रही है।

 

 

 

शिवसेना सांसद संजय राउत ने राज्यसभा में कहा आज जम्मू-कश्मीर लिया है कल बलूचिस्तान लेंगे फिर पीओके लेंगे। मुझे विश्वास है देश के पीएम अखंड हिंदुस्तान का सपना पूरा करेंगे।

 

 

 

 

बीजू जनता दल के सांसद प्रसन्न आचार्य ने राज्यसभा में कहा वास्तविकता से आज जम्मू और कश्मीर भारत का हिस्सा बन गया है और मेरी पार्टी इस संकल्प का समर्थन करती है। हम एक क्षेत्रीय पार्टी हैं लेकिन हमारे लिए राष्ट्र पहले है।

 

 

 

 

एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने इस मसले पर अपनी अलग ही राय दी है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत सरकार को घाटी के नेताओं को अपने साथ लेना चाहिए था जो सरकार ने नहीं किया। सरकार को घाटी के नेताओं के साथ मिलकर 370 को रद्द करने का फैसला लेना चाहिए था। अगर इस फैसले का विरोध करने वाली पार्टियों की बात करें को उसमें जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की टीडीपी और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांग्रेस, राहुल गांधी की कांग्रेस, एमडीएमके नेता वाइको और एनडीए की सहयोगी नीतीश कुमार की जेडीयू है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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