राज्य सभा में सपा के दो और कांग्रेस के एक सदस्य ने दिया इस्तीफा

AJ डेस्क: एक ओर जहां केंद्र सरकार राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने का ऐलान करने जा रही थी तो दूसरी ओर से दो सांसद विपक्ष को झटका देने की तैयारी में थे। राज्यसभा में सोमवार को समाजवादी पार्टी के सुरेन्द्र सिंह नागर, संजय सेठ और कांग्रेस के भुवनेश्वर कालिता के इस्तीफे की घोषणा की गयी। राज्यसभा की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने नागर, सेठ और कालिता के इस्तीफे के बारे में सदन को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन सदस्यों ने दो अगस्त को अपने अपने इस्तीफे दिये जिन्हें स्वीकार कर लिया गया है। राज्यसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे सुरेंद्र सिंह नागर का कार्यकाल चार जुलाई 2022 तक था। संजय सेठ सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते थे। राज्यसभा में उनका कार्यकाल भी 2022 तक था।

 

 

 

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इससे पहले 16 जुलाई को सपा के राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर ने भी पार्टी और उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। नीरज भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कालिता राज्यसभा में कांग्रेस की ओर से असम का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। सभापति एम वेंकैया नायडू ने उनके इस्तीफे की सूचना दी। कालिता का उच्च सदन में कार्यकाल नौ अप्रैल 2020 तक था। इसके बाद उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नियम 267 के तहत विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, सपा के रामगोपाल यादव, भाकपा के बिनॉय बिस्वम, माकपा इलामारम करीम, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह तथा कांग्रेस के भुवनेश्वर कालिता ने नोटिस दिए हैं। नायडू ने कहा ‘‘चूंकि कालिता ने उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है इसलिए उनका नोटिस अब कोई मायने नहीं रखता।”

 

 

 

 

बात करें समाजवादी पार्टी के सांसद संजय सेठ की तो उनका इस्तीफा समाजवादी पार्टी के लिए बड़ा झटका है। उनके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की संभावना है। पिछले एक महीने में पार्टी और राज्यसभा से इस्तीफा देने वाले सेठ तीसरे सांसद हैं। सेठ का इस्तीफा पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि वह न केवल सपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष थे बल्कि यादव परिवार के करीबी माने जाते थे। सेठ सेंट्रल उत्तर प्रदेश में सबसे बड़े बिल्डरों में से एक हैं और मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव के एक व्यापारिक साझेदार हैं।  सेठ के इस्तीफा देने के बाद राज्यसभा में सपा के सिर्फ 10 सांसद रह गए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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