लोक सभा में JK पुनर्गठन विधेयक पर हंगामा, कांग्रेस ने सरकार से रुख स्पष्ट करने को कह
AJ डेस्क: गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया। विधेयक पर चर्चा शुरू होते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने नियम तोड़ने का आरोप लगाया। रंजन ने सरकार से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि संयुक्त राष्ट्र कश्मीर मसले की निगरानी कर सकता है कि नहीं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि शिमला समझौता, लाहौर घोषणापत्र में इसे कश्मीर को द्विपक्षीय मसला माना गया है। कांग्रेस नेता ने इसे सरकार का रुख स्पष्ट करने की मांग की।
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कांग्रेस नेता ने कहा, ‘सरकार ने जम्मू-कश्मीर को जेलखाना बना दिया है। राज्य के मुख्यमंत्रियों को हिरासत में रखा गया है। मोबाइल, इंटरनेट सेवा बंद है। वहां के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।’ कांग्रेस नेता के इस बयान पर अमित शाह ने नाराजगी जाहिर की और पूछा कि कौन सा नियम तोड़ा गया है। इसके बाद गृह मंत्री ने कहा, ‘मैं जब जम्मू-कश्मीर की बात करता हूं तो इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) और अक्साईचिन दोनों शामिल हैं। पीओके के लिए हम जान दे देंगे। भारत और जम्मू-कश्मीर के संविधान ने देश की जो सीमा निर्धारित की है उसमें पीओके और अक्साईचिन दोनों शामिल हैं।’
Union Home Minister Amit Shah in Lok Sabha: Jammu & Kashmir is an integral part of Union of India. Kashmir ki seema mein PoK bhi aata hai…Jaan de denge iske liye! https://t.co/7zyF4I0eQn
— ANI (@ANI) August 6, 2019
बता दें कि सरकार ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला करते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया। गृह मंत्री ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी पेश किया जिस पर लंबी बहस के बाद इसे पारित कर दिया गया। इसके अलावा सरकार ने जम्मू-कश्मीर को राज्य के दर्जे को समाप्त करते हुए इस दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने का फैसला किया है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा युक्त केंद्रशासित प्रदेश होगा जबकि लद्दाख विधानसभा रहित केंद्रशासित राज्य होगा। जम्मू-कश्मीर के विधानसभा का कार्यकाल छह वर्षों की जगह पांच साल का होगा और दिल्ली की तरह यहां भी प्रशासन का मुखिया मुख्यमंत्री न होकर उप राज्यपाल होगा।
Home Minister Amit Shah in Lok Sabha: Parliament has the right to make laws on Jammu & Kashmir. https://t.co/SQmM5ZJqGs
— ANI (@ANI) August 6, 2019
राज्यसभा में सरकार के इस प्रस्ताव को अप्रत्याशित समर्थन मिला। विपक्ष की पार्टियों बहुजन समाज पार्टी, तेदेपा और आप ने सरकार के इस कदम का समर्थन किया। जबकि भाजपा की सहयोगी पार्टी जद-यू ने इसके विरोध में सदन से वॉक आउट किया। इस फैसले का विरोध करने वाली कांग्रेस ने इसे संविधान और लोकतंत्र का विरोधी बताया। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त कर सरकार ने ‘लोकतंत्र और संविधान का गला घोंटा’ है। हालांकि, अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस पार्टी दो गुटों में बंटती नजर आई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि इतिहास में की गई एक बड़ी गलती सुधारी गई है।
लोकसभा में जम्मू-कश्मीर के इतिहास पर बोलते हुए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि देश जब 1947 में आजाद हुआ उस समय भारत और पाकिस्तान के अलावा 562 रियासतें थीं। इन रियासतों के समक्ष यह विकल्प था कि वे अपना अपना विलय भारत अथवा पाकिस्तान के साथ कर सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘उस समय तीन रियासतों को छोड़कर बाकी सभी रियासतें भारत के साथ विलय के लिए तैयार हो गईं। हैदराबाद और जूनागढ़ की रियासतें भारत के साथ जाने के लिए तैयार नहीं थीं। जम्मू-कश्मीर की रियासत की स्थिति कुछ दूसरी थी।’ मनीष तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संविधान सभा की अनुपस्थिति में अनुच्छेद 370 को खत्म नहीं किया जा सकता।
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