गरीबों के इलाज हेतु सरकारी स्कीम में गड़बड़झाला, अशर्फी के विरुद्ध जांच शुरू (भाग- 01)
मुख्य बातें-
- मरीज और सरकार दोनों से लिया भुगतान
- जाँच का आदेश होते ही जमा कर दी गयी बची राशि
- अहम सवाल, पहले क्यों नहीं लौटाया राशि
- प्राक्कलन राशि कुछ और फाइनल बिल कुछ
AJ डेस्क: धनबाद का नामी गिरामी अस्पताल “अशर्फी” सरकारी जाँच के दायरे में आ गया है। सरकार द्वारा जाँच रिपोर्ट मांगे जाने के बाद धनबाद सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा जाँच शुरू कर दी गयी है। जांच शुरू होते ही असर्फी अस्पताल प्रबंधन रेस हो गया है और मामले को सलटाने की जुगत में लग गया है। मामला एक मरीज के इलाज में सरकार और मरीज दोनों से भुगतान लेने का है।
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अनल ज्योति ने असर्फी अस्पताल के CEO हरेंद्र सिंह से फोन पर इस संदर्भ में जानकारी या यूँ कहें उनका पक्ष लेने का प्रयास किया। हरेंद्र सिंह ने बताया कि महमूद अंसारी नामक मरीज का इलाज उनके यहाँ मुख्यमंत्री गम्भीर बीमारी योजना के तहत किया गया था। सरकार के इस योजना की राशि आने में देरी था इसलिए मरीज से पैसा जमा करा लिया गया था। इलाज के बाद सिविल सर्जन कार्यालय से एक लाख बीस हजार रूपये का भुगतान हुआ था। वह स्वीकारते हैं कि अस्पताल प्रबंधन ने सिविल सर्जन कार्यालय को इलाज का खर्च एक लाख बीस हजार होने का इस्टीमेट दिया था।
महमूद अंसारी सड़क दुर्घटना में जख्मी हुआ था। इलाज के लिए उसे अशर्फी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आर्थिक रूप से कमजोर अंसारी की समुचित इलाज के लिए सिविल सर्जन ने अस्पताल प्रबंधन से इलाज में होने वाली खर्च का प्राक्कलन माँगा। अस्पताल प्रबंधन ने महमूद के इलाज पर एक लाख बीस हजार रूपये खर्च आने की जानकारी दी। ततपश्चात सिविल सर्जन ने अशर्फी अस्पताल को एक पत्र भेजकर कहा कि महमूद का इलाज करें, भुगतान भेजा जा रहा है। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के परिजनों से 58 हजार रूपये जमा करा लिया। बाद में सिविल सर्जन कार्यालय से भी अस्पताल प्रबंधन को एक लाख बीस हजार रूपये का भुगतान कर दिया गया।

अशर्फी अस्पताल के निदेशक का कहना है कि सिविल सर्जन कार्यालय से भुगतान आने में देरी था इसलिए मरीज के परिजनों से राशि जमा कराई गई थी। अब यहां सवाल उठता है कि किसी भी गरीब मरीज का इलाज सरकारी योजना के तहत कब शुरू हो पाएगा। सरकार क्या इलाज के पहले ही अस्पताल में पैसा जमा कर देगी या इलाज के बाद ही सरकार भुगतान करती है। गरीब मरीज यदि एडवांस राशि जमा करने में सक्षम ही होगा तो वह सरकारी योजना से कोई उम्मीद क्यों पालेगा। अनल ज्योति को जितनी जानकारी मिल सकी है उसके मुताबिक सरकारी योजना के तहत पहले मरीज का इलाज होता है फिर सरकार बाद में अस्पताल का भुगतान करती है।
अनल ज्योति टीम ने इस मामले की पड़ताल सिविल सर्जन कार्यालय में भी किया। यहां चौकाने वाली बातें सामने आईं। अशर्फी अस्पताल में मुख्यमंत्री गम्भीर बीमारी योजना के तहत इलाज कराने वाले मरीज महमूद ने मुख्यमंत्री जन संवाद में अस्पताल प्रबंधन द्वारा सरकार से और उससे राशि लेने की शिकायत की थी। महमूद ने यह भी कहा कि उसे उसकी राशि नही लौटाई गयी। अब वही महमूद कल अचानक सिविल सर्जन कार्यालय में जाकर कहता है कि उसे पहले ही उसकी राशि बैंक खाता में मिल चुकी है। सिविल सर्जन कार्यालय ने महमूद को बैंक का पासबुक दिखाने के लिए बोला है। रांची से जांच का आदेश होते ही पहले तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा आनन फानन में सिविल सर्जन कार्यालय में बची हुई राशि के नाम पर 12 हजार रूपये गुरुवार को जमा करा दिया जाता है। उसके बाद अचानक महमूद भी सिविल सर्जन कार्यालय पहुंच जाता है।
हम अपने सुधि पाठकों को कल सारी घटना की जानकारी तिथिवार देंगे। पूरे मामले की यदि गम्भीरता से जांच हुई तो सरकारी योजना के तहत हो रही इलाज में किसका स्वास्थ बन रहा है।इसका भी खुलासा हो जाएगा।

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