VIDEO- “अशर्फी अस्पताल प्रकरण” सात महीने सरकार की राशि क्यों रखा? (भाग- 02)

मुख्य बातें-

 

  • इलाज का खर्च बढ़ने की सूचना CS ऑफिस को दी गयी थी क्या
  • जब सरकार इलाज करा ही रही थी तो मरीज से भुगतान क्यों
  • भुगतान न मिले तो मरीज को नही छोड़ा जाता फिर सरकार का पैसा क्यों रखा
  • सरकारी योजना में पहले इलाज फिर भुगतान का है व्यवस्था

 

 

AJ डेस्क: आखिर अशर्फी अस्पताल प्रबंधन की मंशा क्या थी। अस्पताल प्रबंधन सिविल सर्जन से महमूद के इलाज के लिए एक लाख 20 हजार रूपये मांगता है फिर मामले की जाँच का आदेश होते ही बारह हजार रूपये लौटा भी देता है। जबकि महमूद के इलाज का फाइनल बिल 2 लाख 5 हजार 8 सौ दिखाया गया है।

 

 

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सड़क दुर्घटना में जख्मी महमूद 29 मई 2018 से 13 जून 2018 तक अशर्फी अस्पताल में इलाज कराता है। उसके बाद फिर 2 से 9 जुलाई 2018 तक उसका इलाज अशर्फी में होता है। महमूद के इलाज के लिए सिविल सर्जन ने अशर्फी अस्पताल प्रबंधन से इलाज का इस्टीमेट माँगा। अस्पताल प्रबंधन ने एक लाख 20 हजार रूपये का इस्टीमेट सिविल सर्जन कार्यालय को भेज दिया। सिविल सर्जन ने महमूद का इलाज मुख्यमंत्री गम्भीर योजना के तहत करने की अनुमति दे दी।लेकिन अशर्फी प्रबन्धन ने इसके बावजूद महमूद से पहली किस्त में 46 हजार और दूसरे क़िस्त में 16,500 रूपये जमा करा लिए। इधर बाद में सिविल सर्जन कार्यालय ने भी अशर्फी प्रबन्धन को एक लाख 20 हजार रूपये का भुगतान कर दिया। अशर्फी अस्पताल के निदेशक गोपाल सिंह का कहना है कि उन्हें शंका थी कि सरकार भुगतान करेगा कि नही। इसलिए महमूद से राशि जमा कराया गया था।

 

 

देखें वीडियो-

 

 

निदेशक गोपाल सिंह ने बताया कि सिविल सर्जन कार्यालय से उन्हें 5 मार्च 2019 को भुगतान मिला है। अब यहां यह सवाल उठता है कि महमूद के इलाज का खर्च की जिम्मेवारी जब सरकार ने उठा ली थी तो मरीज से पैसा क्यों लिया गया। महमूद के इलाज का फाइनल बिल 2 लाख 5 हजार का बना। महमूद के इलाज में 85 हजार रूपये का खर्च बढ़ गया तो क्या अशर्फी प्रबन्धन ने सिविल सर्जन कार्यालय को इसकी सूचना दी थी।

 

 

 

 

 

इधर सिविल सर्जन कार्यालय भी राशि का भुगतान करने के बाद मरीज के इलाज की जानकारी लेने का जहमत नही उठाया। इस बीच महमूद के परिजनों ने सिविल सर्जन और उनसे अस्पताल द्वारा राशि लिए जाने की बात मुख्यमंत्री जन संवाद तक पहुंचाया। पीड़ित ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन उसका पैसा नही लौटा रहा है। मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र ने इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए धनबाद के सिविल सर्जन से जवाब मांगा है। सिविल सर्जन ने डॉ राजकुमार सिंह को मामले की जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

 

 

 

देखें वीडियो-

 

 

अब देखना यह है कि मरीज और सरकार के खाते में पैसा जमाकर मामले को निबटा दिया जाता है या इस मामले की गम्भीरता से जाँच कर सरकारी योजनाओं में हो रही लूट खसोट का भंडाफोड़ किया जाता है। बात अशर्फी की नही है, बात सरकारी योजना की राशि के दुरूपयोग का है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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