असर्फी अस्पताल प्रकरण: गरीब मरीज के लिए दरियादिल है प्रबन्धन का

AJ डेस्क: धनबाद के नामी गिरामी अस्पतालों में से एक असर्फी अस्पताल का भवन जितना भव्य है प्रबन्धन का दिल उससे भी बड़ा है। सड़क दुर्घटना में जख्मी महमूद के इलाज में सरकार मात्र एक लाख बीस हजार रूपये का भुगतान करता है जबकि अस्पताल का फाइनल बिल दो लाख 5 हजार का होता है। फिर भी अस्पताल प्रबंधन का दरियादिली देखें,वह सरकार को 12 हजार रूपये लौटा भी देता है। इसके बावजूद मरीज के पिता ने सिविल सर्जन को पत्र देकर अस्पताल प्रबंधन से उसका पैसा वापस कराने की गुहार लगायी है।

 

 

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पिछले साल तोपचांची निवासी महमूद जख्मी अवस्था में असर्फी हॉस्पिटल में भर्ती होता है। आर्थिक रूप से कमजोर महमूद के तरफ से धनबाद सिविल सर्जन कार्यालय को मुख्यमंत्री गम्भीर बीमारी योजना के तहत इलाज कराने का एक आवेदन दिया जाता है। सिविल सर्जन कार्यालय ने असर्फी प्रबन्धन से महमूद के इलाज में होने वाली खर्च का इस्टीमेट माँगा। असर्फी वालों ने सिविल सर्जन को एक लाख बीस हजार रु का इस्टीमेट दिया। इसके बाद सिविल सर्जन ने असर्फी प्रबन्धन को महमूद का इलाज करने की स्वीकृति दे दी। इधर असर्फी प्रबन्धन के द्वारा दो बार में महमूद के परिजनों से 85 हजार रु जमा करा लिया गया। दूसरी ओर सिविल सर्जन से भी असर्फी के पास एक लाख 20 हजार रूपये का भुगतान आ गया।

 

 

 

 

यहां यह सवाल उठ रहा है कि सिविल सर्जन कार्यालय से इलाज के लिए स्वीकृति मिलने के बाद असर्फी प्रबन्धन ने महमूद के परिजनों से पैसा क्यों लिया। अपनी राशि के लिए महमूद के परिजनों ने मुख्यमंत्री जन संवाद में एक आवेदन दिया। इस आवेदन पर रांची से सिविल सर्जन को जाँच कर रिपोर्ट भेजने और महमूद का पैसा वापस कराने का पत्र आया है।

 

 

 

 

 

इस प्रकरण के पड़ताल में असर्फी प्रबन्धन ने अनल ज्योति को महमूद के इलाज पर दो लाख पांच हजार खर्च होने का ब्यौरा दिखाया था। इस हिसाब से सिविल सर्जन कार्यालय से मिली एक लाख बीस हजार और महमूद से मिली 85 हजार रु का हिसाब बराबर हो जाता है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से असर्फी प्रबन्धन के द्वारा महमूद के एकाउंट में 19 अप्रैल 2019 को 56 हजार रूपये जमा करा दिया जाता है। फिर हाल ही में सिविल सर्जन कार्यालय में भी बारह हजार रु जमा करा दिया जाता है। यानि महमूद के इलाज में एक लाख 8 हजार रूपये खर्च हुए थे,जबकि असर्फी प्रबन्धन ने ही अनल ज्योति को दो लाख 5 हजार खर्च होने का ब्यौरा दिखया। यानि असर्फी अस्पताल गरीब लाचार मजबूर मरीजों का इलाज अपने फंड से भी करता है।

 

 

इधर शनिवार के दिन महमूद के पिता वाहिद ने सिविल सर्जन को एक आवेदन देकर कहा है कि असर्फी के निदेशक अभी तक उसकी पूरी राशि नही लौटाया है। बकाया राशि मांगने जाने पर उन्हें धमकाया जाता है। उन्होंने पूरे मामले की जाँच कर कार्रवाई किए जाने की मांग की है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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